22 दिन तक पृथ्वी के ऑर्बिट पर रहेगा Chandrayaan 3, 40 दिन बाद चंद्रमा पर करेगा लैंड, जानिए रूट
Chandrayaan-3 Launch Route: चंद्रयान 3 मिशन की लॉन्चिंग श्री हरिकोटा से दोपहर 2.35 बजे होगा. जानिए चंद्रयान का रूट, कैसे चांद तक का सफर पूरा करेगा चंद्रयान 3.
Chandrayaan-3 Launch Route: Chandrayaan 3 मिशन की लॉन्चिंग का इंतजार बस कुछ ही मिनटों में खत्म होने जा रहा है. दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से ISRO द्वारा चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है. ये चंद्रयान 2 का अपडेटेड वर्जन है. चंद्रयान 3 LVM3-M4 व्हीकल से लॉन्च होगा. इसके जरिए चंद्रयान 3 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक पहुंचाया जाएगा.
Chandrayaan-3 Launch Route: 22 दिनों तक पृथ्वी के इलिप्टिकल ऑर्बिट में रहेगा चंद्रयान 3
LVM 3 रॉकेट से चंद्रयान 3 का मॉड्यूल लॉन्च होगा. लॉन्च के 16 मिनट बाद जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में ये प्लेस हो जाएगा. इसके बाद ये 22 दिनों तक पृथ्वी की धुरी यानी इलिप्टिकल ऑर्बिट में रहेगा. मॉड्यूल इसके बाद लगे मैन्यूवर्स के जरिए इलिप्टिकल ऑर्बिट के दायरे को बढ़ाएगा. इसके बाद ऑर्बिट ट्रांसफर हो जाएगा और मॉड्यूल चंद्रमा की तरफ बढ़ेगा और मॉड्यूल पृथ्वी की ऑर्बिट से निकल जाएगा. ये मून ऑर्बिट में दाखिल होगा. इसके बाद ये 13 दिन तक चंद्रमा के चक्कर लगाएगा.
Chandrayaan-3 Launch Route: प्रोपल्शन मॉड्यल से अलग होगा लैंडर
100 किमी ऊपर लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. दरअसल प्रोपल्शन मॉड्यूल ही लैंडर और रोवर को इंजेक्शन ऑर्बिट से 100*100 किमी लूनर ऑर्बिट तक ले जाता है. लैंडर 100 *30 किमी के ऑर्बिट में अपनी स्पीड को कम करना शुरू कर देता है. लैंडिंग के बाद रोवर रैंप से बाहर निकल जाएगा. इसके बाद ये 14 दिन तक एक्सपेरिमेंट करेगा. चंद्रयान 3 के तीन अहम हिस्से हैं. प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलावा विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी अहम हिस्सा है.
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पीएम मोदी ने किया ट्वीट
चंद्रयान 3 लॉन्च से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, '14 जुलाई 2023 की तारीख भारत के स्पेस सेक्टर के इतिहास में सवर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा. चंद्रयान 3 हमारा तीसरा चांद पर तीसरा मिशन है, जो अपना सफर शुरू कर रहा है. ये बेहतरीन मिशन हमारे देश की उम्मीदों और सपनों को लेकर जा रहा है. चंद्रयान 3 तीन लाख किमी का सफर तय करेगा और आने वाले हफ्तों में चांद पर पहुंच जाएगा. इसमें लगे साइंटफिक उपकरण चांद की सतह के बारे में अध्ययन करेगा और हमारे भी ज्ञान को बढ़ाएगा.'