Chandrayaan-3: चांद पर सूरज उग चुका है और साउथ पोल पर धूप भी पहुंच गई है, लेकिन विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से अभी तक कोई भी सिग्नल नहीं मिल पाया है. हालांकि, ISRO विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लगातार जगाने की कोशिश में जुटा हुआ है. लेकिन अभी तक कोई भी रिस्पॉन्स नहीं मिल पाया है. इसके बाद से मन में लगातार एक ही सवाल उठ रहा है अगर लैंडर और रोवर नींद से नहीं जगते हैं तो क्या ये मून मिशन फेल हो जाएगा? 

क्यों सुलाए गए थे लैंडर और रोवर

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इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश देसाई बताते हैं कि लैंडर और रोवर दोनों को चांद पर रात होने की वजह से स्लीप मोड पर डाला गया था. चांद पर रात में तापमान शून्य से -200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है. रोवर की बैटरी और दूसरे टूल्स केवल सूरज की किरणों से ही चार्ज किया जा सकता है. 

रोवर को सुलाने से पहले ऐसी दिशा में रखा गया था कि सूर्योदय होने पर सूरज की रोशनी सीधे सौर पैनलों पर पड़े. उम्मीद मुताबिक ऐसा ही हुआ. इसके बावजूद चांद पर दिन होने के बाद जब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की कोशिश की जा रही है और उनसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. 

लैंडर और रोवर जगे तो क्या होगा 

ISRO का कहना है कि अगर लैंडर और रोवर फिर से एक्टिव हो जाते हैं तो उन्हें सालों तक काम में लाया जा सकता है. दोनों के स्लीप मोड में जाने के साथ ही चंद्रयान 3 मिशन के 2 चरण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं. इसरो अब भी संपर्क की कोशिश कर रहा है और अगर कॉन्टेक्ट होता है तो यहां से मिशन का तीसरा चरण शुरू होगा जिसमें बोनस जानकारी जुटाई जाएगी. अगर ये दोनों जाग जाते हैं तो चांद की सतह पर हाइड्रोजन का पता करना संभव होगा. 

चंद्रयान 3 मिशन फेल या पास ?

ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को चांद पर 14 दिनों तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया था और इन 14 दिनों के दौरान चांद की सतह से उम्मीद के मुताबिक सारा डेटा दे चुका है. ऐसे में अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से दोबारा कॉन्टेक्ट नहीं हो पाता है तो मून मिशन फेल नहीं माना जाएगा. 

ISRO ने कहा कि ये मिशन फेल इसलिए भी नहीं माना जाएगा क्योंकि संपर्क ना होने के बाद भी लैंडर और रोवर चांद की कक्षा में ही रहेंगे और ISRO सांइटिस्ट को ये उम्मीद है कि लैंडर और रोवर दोबारा से एक्टिव हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो ये  ISRO के लिए वरदान साबित होगा.