Chandrayaan-3: लैंडिंग के बाद ISRO ने दिया ये अपडेट, जारी किया वीडियो...देखिए टचडाउन के समय कैसा दिख रहा था चांद
इसरो के चंद्रयान-3 ने सफल लैंडिंग तो कर ली है, लेकिन अब लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर चांद पर चल क्या रहा है. इसरो भी समय-समय पर इसके लिए अपडेट दे रहा है. लैंडिंग के बाद इसरो की ओर से बड़ा अपडेट मिला है. साथ ही एक वीडियो भी जारी किया गया है.
Chandrayaan-3 की चांद पर सफल लैंडिंग तो हो चुकी है. अब लोगों में ये उत्सुकता है कि आखिर चांद पर अभी चल क्या रहा है. हमारा रोवर और लैंडर किस तरह से वहां काम कर रहे हैं. इसरो (ISRO) भी समय-समय पर वहां की गतिविधियों की जानकारी दे रहा है. गुरुवार की शाम इसरो की ओर से एक बड़ा अपडेट आया है, साथ ही एक वीडियो भी जारी किया गया है.
इसरो की ओर से मिला ये अपडेट
इसरो ने बताया कि चांद पर सभी एक्टिविटीज तय शेड्यूल के हिसाब से हो रही हैं. सभी सिस्टम नॉर्मल तरीके से काम कर रहे हैं. लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE चालू हो गए हैं. रोवर ने भी काम करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा इसरो ने एक वीडियो भी जारी किया है. ये वीडियो 2.17 मिनट का है. इसरो ने बताया है कि वीडियो उस समय का है जब लैंडर चांद की सतह पर उतर रहा था. टचडाउन से ठीक पहले लैंडर इमेजर कैमरे ने चंद्रमा की कुछ तस्वीरें खींची थीं.
आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि टचडाउन के समय चांद किस तरह का नजर आ रहा था. इस वीडियो में एक तरफ लैंडर विक्रम का एक हिस्सा नजर आ रहा है, साथ ही चांद पर छोटे-बड़े कई गड्ढे भी दिख रहे हैं. वीडियो में आप लैंडर को नीचे उतरते हुए देख सकते हैं. जैसे-जैसे लैंडर चांद की सतह के करीब पहुंच रहा है, वहां मौजूद गड्ढे भी स्पष्ट रूप से और बड़े दिख रहे हैं.
14 दिनों तक काम करेंगे रोवर और लैंडर
बता दें कि इसरो का रोवर 1 चंद्र दिवस (जो कि धरती के 14 दिनों के बराबर है) तक काम करेगा. वहां का डेटा कलेक्ट करेगा और उसे लैंडर तक पहुंचाएगा. लैंडर के जरिए वो जानकारी इसरो तक पहुंचेगी. इस तरह 14 दिनों तक इसरों को चांद की जानकारी प्रज्ञान और विक्रम के जरिए मिलती रहेगी. इन 14 दिनों के दौरान चांद पर धूप रहेगी और दोनों को सोलर एनर्जी मिलती रहेगी. 14 दिन बाद साउथ पोल पर अंधेरा हो जाएगा. रात होते ही यहां काफी ठंड बढ़ जाएगी. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है.
इतने कम तापमान पर मशीनों का काम कर पाना बहुत मुश्किल होता है. चूंकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे. हालांकि, इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के काम करने की संभावना से इनकार नहीं किया है. अगर ऐसा होता है तो ये चंद्र मिशन के लिए एक बोनस की तरह से होगा.
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