चंद्रयान-3 तेजी से अपने लक्ष्‍य की ओर बढ़ रहा है. अब तक ये सभी उम्‍मीदों पर खरा उतरा है. 5 अगस्‍त को चंद्रयान ने चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ लिया था. तब से ये उसके चारों ओर चक्‍कर लगा रहा है. आज 9 अगस्‍त को चंद्रयान के ऑर्बिट को एक बार फिर से सफलतापूर्वक बदल दिया गया है. यानी अब चंद्रयान चांद की तीसरी कक्षा में पहुंच गया है. इसी के साथ चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है. इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी शेयर की है.

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अगला ऑपरेशन 14 अगस्त 2023 को 11:30 से 12:30 बजे के बीच किया जाएगा. इसके बाद 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग हो जाएंगे. फिर डी-ऑर्बिटिंग की कवायद शुरू की जाएगी. 18 से 20 अगस्‍त के बीच डीऑर्बिटिंग होगी यानी चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा. 23 अगस्‍त की शाम को करीब 5:47 बजे चंद्रयान की लैंडिंग कराई जाएगी. बता दें कि चंद्रयान ने 5 अगस्‍त रविवार को चांद की कक्षा में प्रवेश किया था. 

क्‍या है चंद्रयान का मकसद

चंद्रयान 3 के जरिए भारत चांद की स्‍टडी करना चाहता है. वो चांद से जुड़े तमाम रहस्‍यों से पर्दा हटाएगा. चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा, वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा. बता दें 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की थी.

चंद्रयान-2 के मुकाबले अपग्रेड है चंद्रयान 3

चंद्रयान-2 मिशन जिन वजहों से कामयाब नहीं हो सका, उन वजहों को बारीकी से अध्‍ययन करने के बाद चंद्रयान 3 को कई स्‍तर पर अपग्रेड किया गया है, ताकि इस बार मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके. इसके लिए पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है. इसमें बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. चंद्रयान 3 की स्‍पीड को निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं. कुल मिलाकर इस मिशन में हर गलती की गुंजाइश को खत्‍म करने का प्रयास किया गया है.

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने भी चंद्रयान-3 को लेकर कहा है कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम 23 अगस्‍त को चंद्रमा की सतह पर हर हाल में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, फिर चाहे इसके सेंसर फेल हो जाएं या इंजन काम करना बंद कर दे. चंद्रयान को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये विफलताओं को संभालने में सक्षम होगा. बशर्ते चंद्रयान 3 की प्रणोदन प्रणाली अच्छी तरह से काम करे.