Chandrayaan-3: दो हिस्सों में बंटा चंद्रयान, अलग-अलग यात्राओं पर निकले प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर, अब आगे क्या?
आज यानी 17 अगस्त को 1:08 बजे इसरो ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया है. इस बात की जानकारी इसरो (ISRO) की ओर दी गई है.
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) एक अहम पड़ाव पर पहुंच गया है. आज यानी 17 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया है. इस बात की जानकारी इसरो (ISRO) की ओर दी गई है. इस तरह से भारत का ये अंतरिक्ष यान अब दो हिस्सों में बंट गया है. प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अब अलग-अलग यात्राएं तय करेंगे. लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग होने के साथ ही लैंडिंग की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ISRO ने बताया है कि लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है. कल 18 अगस्त को लैंडर की डीबूस्टिंग की जाएगी. बता दें कि अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा और लैंडर-रोवर 23 अगस्त को शाम को करीब 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे. यहां वो करीब 14 दिनों तक समय बिताएंगे और चांद के तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएंगे.
कैसे लैंडर और रोवर चांद पर करेंगे काम
चांद की सतह पर लैंडर विक्रम लैंडिंग के करने के बाद उसके अंदर रखे प्रज्ञान रोवर की बैटरी एक्टिवेट हो जाएगी और उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे. इसके बाद रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा. सतह पर पहुंचने के बाद उसका कैमरा और दूसरे हिस्से एक्टिव हो जाएंगे. इसके बाद रोवर सतह पर आगे बढ़ने लगेगा और वहां डेटा इकट्ठा करने का काम करेगा. रोवर जो डेटा इकठ्ठा करेगा उसे लैंडर के पास भेजेगा, जिसे लैंडर जमीन पर इसरो के कमांड सेंटर को भेजेगा. रोवर का कार्यकाल एक चंद्रदिवस (धरती पर 14 दिन) के बराबर होगा.
चांद पर भारत के निशां छोड़ेगा प्रज्ञान
भारत ने रोवर प्रज्ञान को कुछ इस तरह से डिजाइन किया है कि ये जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारत की मौजूदगी के निशां भी छोड़ेगा. रोवर का पिछला पहिया आगे बढ़ने पर चंद्रमा की सतह पर सारनाथ में अशोक की लाट से लिया गया भारत का राष्ट्रीय चिह्न अंकित करेगा. वहीं दूसरा पहिया इसरो का निशान प्रिंट करेगा.
18 और 20 अगस्त को लैंडर की डीआर्बिटिंग
बता दें कि प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद 18 और 20 अगस्त को विक्रम लैंडर की डीआर्बिटिंग करायी जाएगी यानी जिस दिशा में चंद्रयान-3 चक्कर लगा रहा था, उसके विपरीत दिशा में उसे घुमाया जाएगा, ताकि उसकी गति को कम किया जा सके. 18 अगस्त की शाम को एक मिनट के लिए लैंडर को थर्स्टर को ऑन करके सही दिशा में लाया जाएगा. यही प्रक्रिया 20 अगस्त को भी दोहराई जाएगी. उसके बाद चंद्रयान-3 को गोलाकार कक्षा में लाया जाएगा और 23 अगस्त को चंद्रयान की चांद सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. जब अंतरिक्ष यान की गति को धीरे-धीरे कम करके सतह पर उतारा जाता है, तो इसे सॉफ्ट लैंडिंग कहा जाता है.
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