देशभर में मातारानी के 51 शक्तिपीठ हैं. पौराणिक मान्‍यता के अनुसार शक्तिपीठ उन स्‍थानों को कहा जाता है, जहां पर माता सती के अंग गिरे थे. इन शक्तिपीठ की देशभर में बहुत मान्‍यता है. पूरे सालभर इन मंदिरों में भक्‍तों की कतार लगी रहती है. नवरात्रि के दिनों में तो भक्‍तों की भीड़ और ज्‍यादा बढ़ जाती है. 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का पर्व शुरू होने जा रहा है. अगर आप यूपी में रहते हैं या  दिल्‍ली-एनसीआर के निवासी हैं, तो इस नवरात्रि पर यूपी में मौजूद शक्तिपीठ में मातारानी के दर्शन कर उनका आशीष प्राप्‍त कर सकते हैं.

प्रयाग शक्तिपीठ

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प्रयाग शक्तिपीठ प्रयागराज में संगम के तट पर है. माना जाता है कि इस स्‍थान पर माता सती की अंगुली‍ गिरी थी. यहां मातारानी को ललिता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यहां माता की अंगुलियां 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं. यहां माता के तीन मंदिर बने हैं और तीनों को शक्तिपीठ माना जाता है.

मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट बनारस में है. यहां देवी सती के कान के मणिजडित कुंडल गिरे थे. यहां देवी को विशालाक्षी‍ मणिकर्णी और भैरव को काल भैरव रूप में पूजा जाता है. विशालाक्षी‍ मणिकर्णी का मंदिर काशी विश्‍वनाथ से कुछ ही दूरी पर स्थित है.

उमा शक्तिपीठ

वृंदावन में लोग ज्‍यादातर कान्‍हा और राधारानी के दर्शन के लिए जाते हैं, लेकिन यहां पर एक श‍क्तिपीठ भी है, जिसे उमा शक्तिपीठ या कात्‍यायनी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यहां माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे. 

रामगिरि शक्तिपीठ

चित्रकूट के पास रामगिरि स्‍थान पर रामगिरि शक्तिपीठ है. इस स्‍थान पर मातारानी को शिवानी के रूप में पूजा जाता है. यहां माता का दायां वक्ष गिरा था. हालांकि कुछ लोग मैहर, मध्य प्रदेश के शारदा देवी मंदिर को शक्ति पीठ मानते हैं.

देवी पाटन मंदिर

बलरामपुर की तहसील तुलसीपुर नगर से करीब 1.5 किमी की दूरी पर पाटन देवी का मंदिर है. इस मंदिर को पाटनेश्‍वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यहां मां का बायां स्कन्ध गिरा था. हालांकि कुछ लोग यह मानते हैं कि इस स्थान पर जगदम्बा सती का पाटन वस्त्र गिरा था. यहां एक अखंड ज्योति जल रही है जिसके बारे में मान्यता है कि ये त्रेता युग से लगातार जल रही है. शक्तिपीठ के साथ इस स्‍थान को योगपीठ भी माना जाता है.

 

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