AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर दुनियाभर में काफी चर्चा है. इस तकनीक की मदद से वो काम किए जा रहे हैं, जिनकी इंसान कल्‍पना भी नहीं कर सकता. लेकिन जिस शख्‍स ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक को विकसित किया, अब वही इसके खतरों को लेकर चिंतित है. 'एआई के गॉडफादर' कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने जिस तकनीक को विकसित करने में मदद की, उसके 'खतरों' के बारे में बात करने के लिए उन्होंने पिछले सप्ताह गूगल में अपनी भूमिका छोड़ दी.

एआई आधारित कई प्रोडक्ट किए विकसित

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एआई आधारित कई प्रोडक्ट को विकसित करने में हिंटन की अग्रणी भूमिका रही है. उन्‍होंने गूगल के एआई विकसित करने के प्रोजेक्‍ट पर करीब एक दशक तक काम किया. लेकिन तब से उन्हें प्रौद्योगिकी और इसे आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका के बारे में चिंता होने लगी है. एक रिपोर्ट के अनुसार हिंटन ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने गूगल इसलिए छोड़ा, ताकि वे एआई के जोखिमों के बारे में खुलकर बात कर सकें.

जताई ये चिंता

हिंटन ने कहा कि मैं खुद को दिलासा देता हूं कि अगर मैंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर काम नहीं किया होता, तो कोई और करता. लेकिन चिंता की बात ये है कि इस तकनीक को हम गलत या बुरे लोगों के हाथों में जा ने से कैसे रोक सकते हैं. हिंटन ने चेताया कि एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को रोकना असंभव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इतनी नकली इमेज और टेक्स्ट वाली दुनिया होगी कि ये बता पाना भी मुश्किल हो जाएगा कि क्‍या सच है और क्‍या झूठ. ये स्थिति बहुत भयानक हो सकती है.

मिल चुका है ‘कंप्यूटिंग का नोबेल पुरस्कार’

जेफ्री हिंटन न्यूरल नेटवर्क पर अपने अग्रणी कार्य के लिए ‘कंप्यूटिंग का नोबेल पुरस्कार’ पा चुके हैं.गूगल के मुख्य वैज्ञानिक जेफ डीन ने कहा कि हिंटन ने एआई में मूलभूत सफलता हासिल की है. उन्‍होंने हिंटन के दशक भर गूगल में योगदान के के लिए प्रशंसा की. साथ ही कहा कि हम एआई तकनीक को लेकर एक जिम्मेदार दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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