भारत के पहले सूर्य मिशन Aditya L1 ने 2 सितंबर को सूर्य की ओर अपनी यात्रा को शुरू किया था. अब सूर्य की तरफ आदित्‍य यान ने अपना एक और कदम बढ़ा दिया है. इसरो की ओर से ये अपडेट दिया गया है. मंगलवार की सुबह इसरो ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर जानकारी दी है कि आदित्‍य यान की कक्षा को दूसरी बार सफलतापूर्वक बदल दिया गया है.

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इसरो ने बताया कि Aditya L1 की कक्षा बदलने के ऑपरेशन के दौरान मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में ISTRAC/ISRO के ग्राउंड स्टेशनों ने उपग्रह को ट्रैक किया. भारत का ये अंतरि‍क्ष यान अब  282 km x 40225 km में पहुंच चुका है. अगला मैन्‍युवर 10 सितंबर को दोपहर 02:30 बजे के लिए शेड्यूल्‍ड है यानी इस स्‍पेसशिप की अगली कक्षा 10 सितंबर को दोपहर में ढाई बजे बदली जाएगी. बता दें कि आदित्य-L1 को 16 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करनी है, इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ जाएगा. इन 16 दिनों में 5 बार उसकी कक्षा को बदला जाएगा.

दो सितंबर को लॉन्‍च किया गया था मिशन

बता दें कि आदित्‍य एल-1 भारत का पहला सौर मिशन है जिसे दो सितंबर को लॉन्‍च किया गया था. इस मिशन का मकसद सूर्य की स्‍टडी करना है. आदित्‍य यान को L1 पॉइंट तक की यात्रा को तय करना है, जिसमें उसे करीब 125 दिनों का समय लगेगा. फिलहाल आदित्य-L1 बेहद चुस्त-दुरुस्त स्थिति में अपनी यात्रा कर रहा है. जब आदित्य L1 तय पॉइंट पर पर पहुंच जाएगा, तब उसके सारे पेलोड्स ऑन किए जाएंगे. यानी उसमें जितने भी यंत्र लगे हैं, वो एक्टिव हो जाएंगे. वो सूरज की स्टडी कर पाएगा. 

इस बीच वो हर दिन 1440 तस्वीरें भेजेगा. तस्‍वीरें लेने के लिए आदित्य में विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) कैमरा लगाया गया है. इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. जो HD तस्‍वीरें लेगा. माना जा रहा है कि पहली तस्वीर फरवरी या मार्च में मिल सकती है.

क्‍या है L1 पॉइंट

दरअसल धरती से सूरज की दूरी तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर है. इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं. इन्‍हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है. इनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. L1, L2, L3 स्थिर नहीं है. इनकी स्थिति बदलती रहती है. जबकि  L4 और L5 पॉइंट स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं. L1 इसका पहला पॉइंट है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है. L1 पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट, लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट या एल-पॉइंट के तौर पर जाना जाता है.

 L1 एक ऐसा स्थान है, जहां से 24 घंटे सूर्य पर नजर रखी जा सकती है. ये वो जगह है जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण के बीच एक बैलेंस बन जाता है. धरती और गुरुत्वाकंर्षण के बीच बैलेंस होने से एक सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है, इस फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्राफ्ट एक जगह स्थिर रह सकता है. इसरो वैज्ञानिकों ने आदित्‍य एल-1 मिशन को 5 सालों के लिए बनाया है, लेकिन अगर ये सही सलामत रहा तो अगले 10 से 15 साल तक भी काम कर सकता है और सूर्य से जुड़ी जानकारी दे सकता है.

क्‍या है आदित्‍य L1 का मकसद

  • सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.
  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.
  • सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.
  • कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.
  • सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना. 

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