Aditya L1 Mission: भारत के आदित्य-एल1 उपग्रह में लगे पेलोड ‘आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट’ ने काम करना शुरू कर दिया है और यह सामान्य रूप से काम कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को यह जानकारी दी. ISRO ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. 

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आदित्य-एल1 करेगा सूर्य का अध्ययन 

ISRO के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल से सूर्य का अध्ययन कर रही है. ISRO ने एक बयान में कहा कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) में दो अत्याधुनिक उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और सुप्राथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) शामिल हैं. 

STEPS उपकरण 10 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया. SWIS उपकरण दो नवंबर, 2023 को सक्रिय हुआ था और इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. ISRO के मुताबिक, उपकरण ने सौर पवन आयन, मुख्य रूप से प्रोटॉन और अल्फा कणों को सफलतापूर्वक मापा है.

क्‍या है आदित्‍य L1 का मकसद

आदित्‍य L1 का मकसद सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना. क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना. सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना. कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना. इशके साथ ही सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना.