Aditya L1 Launch: 14 जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्‍च किया था. चंद्रयान को चांद के साउथ पोल पर उतरना था. मिशन सफल भी हुआ और चंद्रयान ने 23 अगस्‍त को साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करके दुनिया में एक नया इतिहास रच दिया. चांद से मुलाकात के बाद अब सूरज से मिलने की बारी है. आज भारत का पहला सौर मिशन आदित्‍य-L1 भी लॉन्‍च होने जा रहा है. लेकिन ये चांद की तरह से सूरज पर लैंड नहीं कर सकता. इसका कारण है कि सूरज का तापमान इतना ज्‍यादा है कि पृथ्‍वी की कोई भी चीज उसे बर्दाश्‍त नहीं कर सकती. ऐसे में आखिर ये आदित्‍य यान करेगा क्‍या? आइए आपको बताते हैं.

आसान शब्‍दों में समझिए मिशन

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दरअसल आदित्य-L1 मिशन ऑब्जर्वेटरी क्लास मिशन है. ये पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी. अब तक हम जो भी अध्‍ययन सूरज को लेकर करते आए हैं, वो सभी दूरबीन की मदद से किए हैं. ये दूरबीनें कोडईकनाल या नैनीताल के ARIES जैसी जगहों पर लगी हैं, लेकिन हमारे पास स्पेस में टेलीस्कोप नहीं हैं. धरती पर रहकर दूरबीन की मदद से सूरज की सतह को देख पाना मुमकिन नहीं हो पाता है. सूरज के वातावरण को नहीं समझा जा सकता, जो कि धरती से एकदम अलग है. कोरोना आखिर इतना गर्म क्यों होता है, इसकी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. ऐसे तमाम सवाल जिनका जवाब धरती से नहीं मिल सकता, वो अब अंतरिक्ष में जाकर मिलेगा. भारत का आदित्‍य यान L1 पॉइंट में रहकर सूरज की गतिविधियों पर 24 घंटे निगाह रखेगा और ग्राउंड स्टेशन पर फोटोग्राफ्स भेजेगा.

क्‍या है L1 पॉइंट 

दरअसल सूरज की अपनी ग्रेविटी है और धरती की अपनी ग्रेविटी है. वो स्‍थान जहां सूरज और धरती दोनों की ग्रेविटी संतुलित हो जाती है, उस जगह को लैंग्रेज पॉइंट कहा जाता है. धरती से सूरज की दूरी तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर है. इस दूरी के बीच पांच लैग्रेंज पॉइंट्स हैं. इन्‍हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है. इनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. L1, L2, L3 स्थिर नहीं है. इनकी स्थिति बदलती रहती है. जबकि L4 और L5 पॉइंट स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं. L1 इसका पहला पॉइंट है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है. L1 पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट, लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट या एल-पॉइंट के तौर पर जाना जाता है. 

L1 पॉइंट ही क्‍यों चुना

L1 एक ऐसा स्थान है, जहां से सूर्य की गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखी जा सकती है. ये वो जगह है जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण के बीच एक बैलेंस बन जाता है. इससे एक सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है, इस फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्राफ्ट एक जगह स्थिर रह सकता है. इसके अलावा इस स्‍थान को दिन और रात की साइकिल प्रभावित नहीं करती. यहां से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है. वहीं ये पॉइंट पृथ्वी के नजदीक है और यहां से संचार में काफी आसानी होती है. इस कारण ये स्‍थान स्‍टडी के लिहाज से अच्‍छा माना जाता है.

क्‍या है आदित्‍य L1 का मकसद

  • सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना.
  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना.
  • सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना.
  • कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना.
  • सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना. 

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