सरयू नदी के तट पर गूंजेंगे स्वर कोकिला के तान, अयोध्या में हुआ लता मंगेशकर चौक का शुभारंभ- PM Modi ने दी सौगात
Lata Mangeshkar chowk: इसका नाम लता मंगेशकर चौक रखा गया है, जिसका लोकार्पण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है. यहां जानिए इसकी ऊंचाई, वजन से लेकर सबकुछ
Lata Mangeshkar chowk: स्वर कोकिला लता मंगेशकर को आज पूरा देश याद कर रहा है. आज उनकी 93वीं जयंती है, जिस अवसर पर एक चौक का उद्धाटन किया गया. इसका नाम लता मंगेशकर चौक रखा गया है, जिसका लोकार्पण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है. बता दें सरयू नदी के तट पर स्थित नया घाट क्षेत्र को 7.9 करोड़ रुपए के अनुमानित बजट से लता मंगेशकर चौक विकसित किया गया है. आइए जानते हैं इसकी खासियत.
वीणा की लंबाई और ऊंताई
इस चौक का मुख्य आकर्षण ये है कि वहां भारतीय संगीत वाद्ययंत्र 'वीणा' स्थापित किया गया है. इस परियोजना की लागत 7.9 करोड़ रुपए है. बता दें इसे दुनिया के मास्टरपीस के रूप में चिन्हित करने का प्रयास किया गया है. इसकी लंबाई की बात करें, तो वो है 40 फुट, जिसकी वजन 14 टन है और ऊंचाई 12 मीटर है. इस जगह का पर्यटक और संगीत प्रेमी आकर आनंद ले सकते हैं. क्योंकि ये देश की ऐसी पहली जगह होगी, जहां अमर सुरीली आवाजों को मंदिर शहर से जोड़ने के लिए इतना विशाल संगीत वाद्ययंत्र स्थापित किया गया है. इस 'वीणा' को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित राम सुतार ने बनाया है, जिसे बनाने में कुल समय 2 महीना लगा है.
लता मंगेशकर चौक की खासियत
- 8.50 करोड़ से लता मंगेशकर चौक का निर्माण हुआ है.
- स्मृति चौक पर लता मंगेशकर के भजन गूंजेंगे.
- मां शारदा की वीणा सुर साम्राज्ञी चौक की पहचान होगी.
- वीणा की लंबाई 10.8 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर है.
- 14 टन वजनी वीणा को बनाने में 70 लोग लगे.
- कांसा एवं स्टेनलेस स्टील से एक माह में वीणा बनी.
- इस पर सरस्वती व मोर के चित्र उकेरे गए हैं.
- पद्म पुरस्कार विजेता राम सुतार ने वीणा की डिजाइन बनाई है.
- वीणा के साथ-साथ अन्य शास्त्रीय वाद्य यंत्र भी प्रदर्शित हैं.
- लता के जीवन और व्यक्तित्व को चौक में दर्शाया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister narendra modi) ने इस अवसर पर कहा कि, लता जी, मां सरस्वती की एक ऐसी ही साधिका थीं, जिन्होंने पूरे विश्व को अपने दिव्य स्वरों से अभिभूत कर दिया. लता दीदी के साथ जुड़ी मेरी कितनी ही यादें हैं, कितनी ही भावुक और स्नेहिल स्मृतियाँ हैं. जब भी मेरी उनसे बात होती, उनकी वाणी की युग-परिचित मिठास हर बार मुझे मंत्र-मुग्ध कर देती थी.' उन्होंने आगे कहा कि, 'मुझे याद है, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन संपन्न हुआ था, तो मेरे पास लता दीदी का फोन आया था. वो बहुत खुश थीं, आनंद में थी. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिरकार राम मंदिर का निर्माण शुरू हो रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि, 'अयोध्या के भव्य मंदिर में श्रीराम आने वाले हैं. उससे पहले करोड़ों लोगों में राम नाम की प्राण प्रतिष्ठा करने वाली लता दीदी का नाम, अयोध्या शहर के साथ हमेशा के लिए स्थापित हो गया है. प्रभु राम तो हमारी सभ्यता के प्रतीक पुरुष हैं. राम हमारी नैतिकता के, हमारे मूल्यों, हमारी मर्यादा, हमारे कर्तव्य के जीवंत आदर्श हैं. अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक, राम भारत के कण-कण में समाये हुए हैं.'