इंटरनेट के बिना ज्यादातर काम संभव नहीं है. आजकल ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं. घर से सारे काम भी लोग ऑनलाइन करना पसंद करते हैं. यहां तक के बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाईन की जा रही है. इन सब के वाई-फाई राउटर की डिमांड तेजी से बढ़ गई है. लेकिन, इसी जरूरत का कुछ लोग गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इसीलिए सभी के लिए जरूरी है कि अपने वाई-फाई को प्रोटेक्ट करके रखें. ताकि कोई भी आपको नेटवर्क का गलत इस्तेमाल ना कर सकें. 

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वाई-फाई हैक होने या गलत इस्तेमाल होने पर आपको कैसे पता चल सकेगा. अगर आपके इंटरनेट कनेक्शन एक दम स्लो हो जाता है, अचानक से इंटरनेट स्पीड कम हो जाती है या अपने इंटरनेट को एक्सिस नहीं कर पा रहे हैं. ये सब बातों का संकेत आपका वाई-फाई हैक होना भी हो सकता है. लेकिन, कभी-कभी सर्वर डाउन होने की वजह से भी कनेक्शन स्लो हो सकता है. 

1. फिंग-नेटवर्क टूल ऐप के जरिए यह काम आसान है. इसे आपको अपने एंड्रायड स्मार्टफोन में डाउनलोड करना होगा. इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. यह एक फ्री ऐप है. यहां आप अपने वाई-फाई से कनेक्टेड डिवाइसेस को स्कैन कर पाएंगे. स्कैनिंग पूरी होने के बाद आपके स्क्रीन पर एक लिस्ट आएगी जिसमें सभी डिवाइस के नाम दिए गए होंगे. यहां से आप जिस भी डिवाइस की जानकारी चाहते हैं आपको मिल जाएगी. इसके लिए आपको सिर्फ डिवाइस के नाम पर टैप करना है. यहां से आप डिवाइस को ब्लॉक कर सकते हैं. यहां से आपको इनका मैक एड्रेस भी पता चल जाएगा. फिंग-नेटवर्क टूल एप के अलावा गूगल प्ले स्टोर में कई एप्स हैं जो आपके वाईफाई से कनेक्ट डिवाइस का पता लगाने में मदद करती हैं. इनमें से एक wifi inspector है.

2. प्राइवेट नेटवर्क से जुड़े हर एक डिवाइस का यूनीक आईपी और मैक एड्रेस होता है. इन्‍हें राउटर सेटिंग्‍स के जरिये कनेक्‍टेड डिवाइस (क्‍लाइंट) की लिस्‍ट में देख सकते हैं. इस तरह अगर आपको अपने नेटवर्क पर कोई रैंडम नेम दिखता है जिसे आप नहीं पहचानते हैं तो इस बात की बहुत संभावना है कि वह कोई आपको इंटरनेट का गलत इस्तेमाल कर रहा है. इन स्टेप्स के जरिए आप अपने वाई-फाई को सेफ रख सकते हैं.

3. आपके वाई-फाई का पासवर्ड से प्रोटेक्ट होना जरूरी है. अगर आपका नेटवर्क पासवर्ड से प्रोटेक्टेड नहीं है तो उसको कोई भी एक्सेस कर सकता है. इससे ना केवल आपके राउटर की स्पीड कम होगी बल्कि इससे प्राइवेसी का भी खतरा है. ऐसे में बेहतर रहेगा कि आप अपने वाईफाई का पासवर्ड एक्टिव रखें और इसे अगर किसी के साथ इमरजेंसी में शेयर करते हैं तो उसके बाद इसे बदल दें. यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि वन, टू, थ्री, फोर, फाइव, सिक्स या ऐसे आसान कॉम्बिनेशन वाले पासवर्ड यूज ना करें जिसे कोई आसानी से गेस कर ले.

4. ज्‍यादातर वाई-फाई राउटर इन दो - 192.168.1.1 या 192.168.2.1 - आईपी एड्रेस के साथ आते हैं. ये किसी भी ब्राउजर से एक्‍सेस किए जा सकते हैं. ज्‍यादातर राउटर मैन्‍यूफैक्‍चरर्स लॉग-इन और पासवर्ड के तौर पर 'रूट' और 'एडमिन' जैसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल करते हैं. एक बार लॉग-इन करने के बाद आपको राउटर सेटिंग्‍स तक पहुंच उपलब्‍ध हो जाती है. इतने आसान पासवर्ड को देखते हुए लॉग-इन करना बहुत आसान होता है और कोई भी आपके राउटर सेटिंग्‍स में प्रवेश कर सकता है. 

5. नेटवर्क को ज्‍यादा सुरक्षित करने का एक और तरीका है, अपने राउटर के एसएसआईडी (SSID) को छुपा दें . इससे सुनिश्चित होता है कि यह केवल कनेक्‍टेबल नेटवर्क की तरह ही नहीं दिखता है. आपको मैनुअली एड्रेस दर्ज करना होगा.

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6.जब आपके नेटवर्क से किसी अनजानी डिवाइस के जुड़ने का पता लगता है, तो इंटरनेट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर इस्‍तेमाल करें. एयरस्‍नेयर जैसे कुछ सॉफ्टवेयर आपको अलर्ट करते हैं.