सुप्रीम कोर्ट के आधार (Aadhaar) ई-केवाईसी की अनिवार्यता खत्‍म करने के बाद टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि नए सिम का फिजिकल वेरिफिकेशन लंबी प्रक्रिया है. इसके लागू होने पर कनेक्‍शन के एक्टिवेशन में ज्‍यादा समय लगेगा. यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया को महंगा बनाएगा और सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी खड़े होंगे. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बदलाव से ग्राहक के नए कनेक्‍शन के एक्टिवेशन में अब 10 गुना तक ज्‍यादा समय लगेगा. पहले आधार से ई-वेरिफिकेशन कर 30 मिनट में नया कनेक्‍शन एक्टिवेट हो जाता था लेकिन अब ग्राहक को 5-6 दिन इंतजार करना पड़ सकता है.

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अब कैसे होगा वेरिफिकेशन

आधार के जरिए ग्राहक का वेरिफिकेशन कराने पर 30 रुपए का खर्च आता था. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक फिजिकल वेरिफिकेशन में एक्‍जीक्‍यूटिव ग्राहक के घर जाएगा और वेरिफाई करेगा. शहरों में आधार के जरिए सिम लेने वालों की तादाद 50 करोड़ के करीब है. वहीं नए उपभोक्‍ता (करीब 80%) आधार से ही वेरिफिकेशन को वरीयता देते हैं.

शीर्ष अदालत ने खत्‍म की अनिवार्यता

शीर्ष अदालत ने कहा था कि आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है. इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिए नहीं कह सकते. सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी राजन मैथ्‍यू ने कहा कि टेलीकॉम उद्योग अदालत के फैसले पर अमल करेगा. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का भी पालन करेगा.

UIDAI ने 15 अक्‍टूबर तक मांगी थी योजना

भारतीय विशिष्ट पहचान संख्या प्राधिकरण (UIDAI) ने दूरसंचार कंपनियों से 15 अक्टूबर तक आधार का इस्तेमाल रोकने और सत्यापन की नई प्रणाली अपनाने के बारे में अपनी योजना सौंपने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह निर्देश जारी किया गया. हालांकि एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी ने ई-केवाईसी प्रक्रिया बदलने में और ज्‍यादा समय लगने की बात कही है. 

दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई ने हालांकि इस मामले में कहा है कि दूरसंचार विभाग को केवाईसी यानी अपने ग्राहक को जानो के बारे में दूरसंचार कंपनियों को स्पष्ट निर्देश देना चाहिए कि कौन सा तरीका अपनाया जाना है.

इनपुट एजेंसी से भी