मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, 2.5 लाख गांवों में मिलेगा मुफ्त Wi-Fi
सरकार 1.3 लाख ग्राम पंचायतों को भारतनेट ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ चुकी है और उसका लक्ष्य 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को इससे जोड़ने का है.
भारत तेजी से डिजिटल इंडिया (Digital India) में बदल रहा है. इसके लिए इंटरनेट सर्विस (Internet Service) को गांव-गांव तक पहुंचाया जा रहा है और अब हमारे गांव डिजिटल गांव (Digital Village) बन रहे हैं. इंटरनेट से लोगों का जीवन बदल रहा है. इस कड़ी में मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार अगले साल 2020 में देश के करीब 2.5 लाख गांवों को मुफ्त वाई-फाई (WiFi) सर्विस मुहैया कराएगी. फिलहाल देश में भारतनेट परियोजना के तहत जुड़े 48,000 गांवों में वाईफाई की सुविधा है.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि भारतनेट (BharatNet) के जरिये जुड़े देशभर के गांवों को मार्च 2020 तक मुफ्त वाई-फाई दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार 1.3 लाख ग्राम पंचायतों को भारतनेट ऑप्टिकल फाइबर (BharatNet Optical Fiber) से जोड़ चुकी है. और उनका लक्ष्य 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को इससे जोड़ने का है. भारतनेट सेवाओं के उपयोग को बढ़ाने के लिए, सरकार भारतनेट के माध्यम से जुड़े सभी गांवों को मार्च 2020 तक मुफ्त वाई-फाई (Free Wi-Fi) देगी.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि साझा सेवा केंद्रों (सीएससी) पर बैंकिंग सेवाओं की पेशकश की जाएगी. इन केंद्रों की संख्या 2014 में 60,000 से बढ़कर मौजूदा समय में 3.60 लाख हो गई है. हरियाणा में इस तरह के 11,000 सीएससी हैं, जो 650 सेवाएं दे रहे हैं.
सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल ग्राम पहल को लागू कर रहा है. कुल मिलाकर एक लाख गांवों को डिजिटल गांव में तब्दील करने की तैयारी है.
डिजिटल ग्राम योजना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सही मायने में बदलने और डिजिटल अंतर को कम करने की क्षमता है.
भारतनेट प्रोजेक्ट
बता दें कि हाल ही में डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (Digital Communications Commission-DCC) ने सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भारतनेट (BharatNet Programme) के अंतर्गत 2.5 लाख किलोमीटर तार (Fibre) बिछाने के काम को प्राइवेट कंपनियों को पट्टे पर देने या बेचने की मुद्रीकरण प्रक्रिया को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी थी.
भारत नेट परियोजना का नाम पहले ओएफसी नेटवर्क (Optical Fiber Communication Network) था. अक्टूबर, 2011 में इसे लॉन्च किया गया था. 2015 में इसका नाम बदलकर भारतनेट रख दिया गया. भारतनेट परियोजना के तहत 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाना है.
इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों तथा निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से ग्रामीण तथा दूर-दराज़ के क्षेत्रों में नागरिकों एवं संस्थानों को सुलभ ब्रॉड बैंड सेवाएं उपलब्ध कराना है. इसके तहत ब्रॉडबैंड की गति 2 से 20 mbps तक होगी.
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8 जनवरी, 2018 को भारतनेट परियोजना का पहला चरण पूरा कर लिया गया है. देश में तकरीबन 1 लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछ चुका है.
भारतनेट परियोजना के तहत ब्रॉडबैंड को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये पहुँचाया जाएगा, लेकिन जहां ऑप्टिकल फाइबर पहुँचाना संभव नहीं हो, वहां वायरलैस एवं सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा.
यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund-USOF) के तहत भारतनेट परियोजना को बजट मुहैया कराया जा रहा है.