किस्सा-ए-कंज्यूमर: महामारी के जले पर जालसाजी का नमक, साइबर धोखेबाजों ने खोजा आपदा में अवसर
साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामलों में हमारी नादानी ही ठगों का हथियार बनती है. अगर हम अपने दिमाग की बत्ती जलाकर रखें तो ऐसे जालसाजों के मंसूबे कभी पूरे न हों
एक शब्द होता है- गिद्ध भोज. जब किसी जानवर की मौत होती है तो गिद्धों का भोज होता है. लेकिन इंसान जब खुद गिद्धों की शक्ल में आ जाएं तो उनके सामने गिद्ध भी पानी मांगते हैं. ऐसे ही कुछ गिद्ध आजकल साइबर स्पेस में सक्रिय हैं. कोरोना महामारी से रोज होती मौतों, रोजाना 3 लाख से ज्यादा मामलों, अस्पतालों में ऑक्सीन की किल्लत, बेड और इलाज की जद्दोजहद और वैक्सीनेशन की मारामारी के बीच कुछ ऑनलाइन धंधेबाज खौफजदा और लाचार लोगों को बेवकूफ बनाकर उन्हें लूटने में लगे हैं. आज मेरे पास आपके लिए कोई एक किस्सा नहीं, बल्कि कई ऐसे शर्मनाक वाकए हैं जिन्हें सुनकर आप गुस्से से भर उठेंगे. लेकिन आपको बताना जरूरी है, क्योंकि जानेंगे तभी तो ऐसे जालसाजों से चौकन्ने रह सकेंगे.
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