Infosys and Microsoft Partnership: Infosys ने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) को आगे बढ़ाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) कंपनी के साथ पार्टनरशिप की है. दोनों ही कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देने की प्लानिंग कर रही हैं. साथ ही इन दोनों कंपनियों की प्लानिंग इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने की है. आइए जानते हैं क्या है प्लानिंग. 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर मिलकर करेंगे काम

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दोनों ही ऑर्गेनाइजेशंस मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता पर काम करके AI Soultions लाना चाहती है. वहीं इससे दोनों डेटा और इंटेलीजेंस को मिलाकर बिजनेस में प्रोडक्टिविटी और रेवेन्यू ग्रोथ लाना चाहती है. 

Generative AI ने AI ऐप्लीकेशंस के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं. इंफोसिस कई तरह की सर्विसेस दे रहा है, जैसे कि फ्रेमवर्क, सॉल्यूशंस और ऐपलीकेशन एरियाज में कई प्लेटफॉर्म्स जैसे कि सिमेंटिक सर्च, डॉक्यूमेंट सम्मेराइज़ेशन, कॉन्टैक्ट सेंटर इनफॉर्मेशन AI-ऑगमेंटेड सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफस्टाइल और मार्केटिंग कंटेंट क्रिएशन. इससे पहले दोनों कंपनियों ने क्लाउड ट्रांसफॉर्मेशन को आगे बढ़ाने के लिए पार्टनशिप की थी. 

Microsoft लाया बिंग

माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ महीने पहले बिंग लॉन्च किया था. ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड पर है. गूगल बार्ड, चैटजीपीटी को टक्कर देने के लिए कंपनी ने इस प्लेटफॉर्म को उतारा था. इसका एक्सेस वेब, मोबाइल दोनों पर उपलब्ध है. 

बिंग में किया गया प्राइवेसी को लेकर सुधार

बिंग में माइक्रोसॉफ्ट ने प्राइवेसी को लेकर काफी सुधार किया है. बिंग चैट में ये फीचर पीसी पर फाइल्स से जुड़ी कन्वर्सेशन के रिकॉर्ड को शामिल नहीं करता है. इसी तरह इस फीचर की मदद से माइक्रोसॉफ्ट सर्च इंडेक्स से अलग कंटेंट का भी रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है. इस फीचर की मदद से यूजर की पर्सनसल जानकारियों का इस्तेमाल एआई टूल को ट्रेनिंग देने वाले डेटा में नहीं किया जा सकेगा.

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