हाल ही में टेस्ला की प्रदर्शनी में चलते-फिरते, बोलते-नाचते ‘ऑप्टिमस’ रोबोट ने काफी उत्साह पैदा किया था. लेकिन लोगों का उत्साह तब ठंडा पड़ गया जब यह जाहिर हुआ कि जो कुछ भी हो रहा था, वह वास्तव में मानव द्वारा दूर से नियंत्रित किया जा रहा था. भले ही यह अब भी भविष्य की एक आकर्षक झलक हो, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि रोबोट उम्मीद से बेहतर साबित हुए हैं. उदाहरण के लिए, ‘सोफिया’ को ही लें, जिसे 2016 में टेक्सास स्थित हैनसन रोबोटिक्स ने बनाया था. 

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कंपनी ने सोफिया अनिवार्य रूप से एक बुद्धिमान प्राणी के रूप में प्रस्तुत किया था, जिसे कई तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे उस समय हमारी क्षमताओं से परे बताया था. इसी तरह हमने बोस्टन डायनेमिक्स के ‘एटलस’ जिमनास्टिक्स, ब्रिटेन निर्मित अमेका रोबोट ‘‘वेकिंग अप’’ और हाल ही में टेस्ला के ‘ऑप्टिमस’ के सावधानीपूर्वक तैयार किये गए वीडियो देखे हैं. जाहिर है कि ये अभी अलग-अलग तरीकों से प्रभावशाली हैं, लेकिन वे पूर्ण ‘पैकेज’ के करीब नहीं पहुंचे हैं. 

ऑप्टिमस या एटलस को किसी गैर पूर्व निर्धारत स्थान पर छोड़ दें और आप बहुत कुछ अलग देखेंगे. हमारे घरों में काम करने में सक्षम एक मानव रोबोट को कई अलग-अलग कार्य करने, हमारे उपकरणों का उपयोग करने, हमारे वातावरण में गतिविधियां करने और मानव की तरह हमसे संवाद करने में सक्षम होना चाहिए. अगर आपको लगता है कि यह केवल एक या दो साल में सच हो सकता है, तो आपको निराशा हाथ लगने वाली है. 

परदे के पीछे टेस्ला की प्रदर्शनी की ‘‘विजार्ड ऑफ ओज़’’ रिमोट ऑपरेशन तकनीक इस क्षेत्र में आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली नियंत्रण विधि है, जो शोधकर्ताओं को एक मानक देती है जिसके आधार पर वे अपनी वास्तविक प्रगति का परीक्षण कर सकते हैं. टेलीमेट्रिक्स नियंत्रण के रूप में जाना जाने वाला यह कुछ समय से मौजूद है, और अधिक उन्नत होता जा रहा है. इस लेख को लिखने वालों में से एक, कार्ल स्ट्रैथर्न, इस साल की शुरुआत में जापान में एक सम्मेलन में शामिल हुए थे. वहां शीर्ष रोबोटिक्स प्रयोगशालाओं में से एक के मुख्य वक्ता ने एक उन्नत टेलीमेट्रिक्स प्रणाली का प्रदर्शन किया. स्पष्ट रूप से, यह बहुत उपयोगी तकनीक है. 

टेलीमेट्रिक प्रणाली का उपयोग खतरनाक वातावरण, दिव्यांगता स्वास्थ्य सेवा और यहां तक ​​कि बाहरी अंतरिक्ष में काम करने वाले रोबोट को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. लेकिन इस मामले में मानव के अब भी शीर्ष पर होने का कारण यह है कि एटलस जैसे सबसे उन्नत मानवीकृत रोबोट भी अभी तक वास्तविक दुनिया में पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए पर्याप्त रूप से विश्वसनीय नहीं है. एक और बड़ी समस्या सामाजिक एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) है. 

डीपमाइंड के जेमिनी और ओपनएआई के जीपीटी-4 विजन जैसे अग्रणी जेनरेटिव एआई कार्यक्रम भविष्य में मानवीकृत रोबोट के लिए रचनात्मक स्वायत्त एआई प्रणाली की नींव रख सकते हैं. लेकिन हमें यह विश्वास करके गुमराह नहीं होना चाहिए कि ऐसे मॉडल का मतलब है कि रोबोट अब वास्तविक दुनिया में अच्छी तरह से काम करने में सक्षम है. डेटा की कमी दूसरी मुख्य चुनौती एआई प्रणाली को प्रशिक्षित करने के लिए वास्तविक दुनिया के डेटा की कमी है, क्योंकि ऑनलाइन डेटा हमेशा हमारे रोबोट को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक वास्तविक दुनिया की स्थितियों का सटीक रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है. 

हमें अभी तक इस वास्तविक दुनिया के डेटा को पर्याप्त मात्रा में एकत्र करने का कोई प्रभावी तरीका नहीं मिला है, ताकि अच्छे परिणाम मिल सकें. हालांकि, अगर हम इसे एलेक्सा और मेटा रे-बैन जैसी तकनीकों से जोड़ सकें तो यह स्थिति जल्द ही बदल सकती है. फिर भी, वास्तविकता यह है कि हम उन्नत सामाजिक एआई के साथ मल्टीमॉडल मानवीकृत रोबोट विकसित करने से शायद दशकों दूर हैं जो घर के कामकाज में मदद करने में सक्षम हों. हो सकता है कि इस बीच हमें दूर से नियंत्रित किये जाने वाले रोबोट की पेशकश की जाए. लेकिन क्या हम उन्हें चाहेंगे? 

इस बीच, यह भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने प्रयासों को उन भूमिकाओं के लिए रोबोट निर्मित करने पर केंद्रित करें जो उन लोगों की सहायता कर सके जिन्हें अभी तत्काल मदद की आवश्यकता है. इनमें स्वास्थ्य सेवा शामिल की जा सकती है, जहां मरीजों की प्रतीक्षा सूची लंबी है और अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी है. शिक्षा क्षेत्र को भी शामिल किया जा सकता है, जहां अशक्त बच्चों को कक्षाओं में दूरस्थ माध्यम से शामिल किया जा सकता है. 

हमें बेहतर पारदर्शिता, कानून और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध परीक्षण की भी आवश्यकता है, ताकि हर कोई तथ्य को कल्पना से अलग कर सके और जब रोबोट अंततः विकसित हो जाएंगे, तो लोगों का विश्वास बनाने में मदद मिलेगी.