मोबाइल कंपनियां अब वेरिफिकेशन के लिए आधार (AADHAAR) नहीं मांग सकतीं. सुप्रीम कोर्ट (SC) ने उनके आधार से ग्राहक का वेरिफिकेशन करने पर रोक लगा दी है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टेलिकॉम कंपनियों को अंदेशा है कि इस बदलाव से ग्राहक को नया कनेक्‍शन देने में 10 गुना ज्‍यादा समय लगेगा. पहले आधार से वेरिफिकेशन कर 30 मिनट में नया कनेक्‍शन उपलब्‍ध कर दिया जाता था लेकिन अब ग्राहक को 5-6 दिन इंतजार करना पड़ सकता है. क्‍योंकि इस दौरान उनका एड्रेस वेरिफाई होगा. लगता है कि हम पुराने समय में लौट गए हैं. अब नया कनेक्‍शन बांटने में समय लगेगा.

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शीर्ष अदालत ने खत्‍म की अनिवार्यता

शीर्ष अदालत ने कहा था कि आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है. इसी तरह टेलिकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिए नहीं कह सकते. सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी राजन मैथ्‍यू ने कहा कि टेलीकॉम उद्योग अदालत के फैसले पर अमल करेगा. साथ ही दूरसंचार विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का भी पालन करेगा.

अब 300 रुपए तक खर्च होंगे वेरिफिकेशन में

आधार के जरिए ग्राहक का वेरिफिकेशन करने पर अभी 30 रुपए का खर्च आता है. लेकिन अब हमें पुराने तरीके से वेरिफिकेशन कराना होगा. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्राहक के घर पर एक्‍जीक्‍यूटिव जाएगा और वेरिफाई करेगा. इससे यह लागत बढ़कर अब 250 से 300 रुपए हो जाएगी. शहरों में आधार के जरिए सिम लेने वालों की तादाद 50 करोड़ के करीब है. वहीं नए उपभोक्‍ता (करीब 80%) आधार से ही वेरिफिकेशन को वरीयता देते हैं. 

वर्चुअल आईडी हो सकता है विकल्‍प

हालांकि पहले सरकार ने टेलिकॉम ऑपरेटरों को निर्देश दिया था कि वे अपने सिस्टम और नेटवर्क में बदलाव कर आधार नंबर की जगह वर्चुअल आईडी की सुविधा दें और मोबाइल ग्राहक के लिए 'लिमिटेड केवाईसी' मैकेनिज्म को अपनाएं. वर्चुअल आईडी किसी व्यक्ति के आधार नंबर पर मैप की गई 16 अंकों की एक संख्या होती है.