अनिल सिंघवी जो कहते हैं, वो सुनती है मोदी सरकार, चीन से निवेश पर चला SEBI का 'हंटर'!
अनिल सिंघवी ने 13 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर कहा था कि पीपल्स बैंक ऑफ चाइन का HDFC लिमिटेड में जो पैसे बढ़ा है, उस पर सरकार को नजर रखनी चाहिए.
देश के वित्तीय हालात सुधारने की बात हो या फिर ब्याज दरें कम करनी हो. चाहे गैर कानूनी ब्रोकिंग कंपनियों का पर्दाफाश करना हो या फिर स्मॉल फाइनेंस कंपनियों पर कार्रवाई की बात हो. ज़ी बिज़नेस हर मुद्दे को दमदार तरीके से उठाता है और यही वजह है कि सरकार भी ज़ी बिज़नेस की सुनती है. इसलिए हम कहते हैं #ZeeBusiness हिट है!! एक बार फिर सरकार ने ज़ी बिज़नेस की सुनी है. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने चीन से निवेश को लेकर मुद्दा उठाया था, अब SEBI ने चीन से निवेश की कड़ी निगरानी शुरू कर दी है.
ज़ी बिज़नेस जब-जब डिमांड रखता है, तब-तब सरकार उसे सुनती है और फैसले भी लेती है. अनिल सिंघवी ने 13 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर कहा था कि पीपल्स बैंक ऑफ चाइन का HDFC लिमिटेड में जो पैसे बढ़ा है, उस पर सरकार को नजर रखनी चाहिए. चीन से आने वाले पैसे की क्वॉलिटी और इंटेंशन पर नजर रखनी चाहिए. तो इसका जवाब है हां. चीन का पैसा कहीं भी किसी भी फॉर्म में आए तो वो हिंदुस्तान को लेना शायद अब ठीक नहीं होगा. कम से कम सरकार को अलर्ट हो जाना चाहिए. चीन का पैसा किस तरह से हमारी कंपनियों में आ रहा है उसकी क्वॉलिटी और इंटेंशन देखना बहुत जरूरी है.
ज़ी बिज़नेस के इस मुद्दे को उठाने के ठीक 4 दिन बाद 17 अप्रैल को सरकार की तरफ से इस मामले में एक्शन आ गया है. सरकार ने SEBI को निर्देश दिया है और SEBI ने जानकारी मांगी है कि चीन और हॉन्ग-कॉन्ग के जितने भी इन्वेस्टर्स हैं वो हिंदुस्तान की कंपनियों में कब, कैसे और कितना पैसा लगा रहा हैं. यह पहली बार नहीं है, जब अनिल सिंघवी ने मांग उठाई हो और सरकार ने ज़ी बिज़नेस की सुनी हो. इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है.
कोरोना वायरस के संकट के चलते ज़ी बिज़नेस ने 4 मार्च 2020 को ही यह डिमांड की थी कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने एक बार फिर 11 मार्च को पूरे भरोसे के साथ कहा था कि ब्याज दरें घटानी चाहिए. उन्होंने कहा था कि इकोनॉमी की डिमांड है कि ब्याज दरें घटानी चाहिए. दुनियाभर में जो सेंट्रल बैंक कर रहे हैं वो हमें भी करना चाहिए, वो है एग्रेसिव रेट कट. अनिल सिंघवी ने कहा था कि एक बार जोर से ब्याज दरें कम कर दीजिए. सर्जरी का वक्त है, छोटे-मोटे इंजेक्शन या गोलियों से काम नहीं चलेगा. बस फिर क्या था आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने 27 मार्च को इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट यानी 0.75 फीसदी की कटौती कर दी.
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इससे भी पिछले साल निर्मला सीतारमण ने भी ज़ी बिज़नेस की डिमांड को सुनते हुए कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती की थी. इकोनॉमी की हालत को देखते हुए उस भी सबसे पहले अनिल सिंघवी ने मांग उठाई थी. दरअसल, शेयर बाजार और वित्त मामलों में अपनी सटीक सलाह देने वाले ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी इंडियन इकोनॉमी के रिवाइवल को लेकर भी समय-समय पर अनुमान जताते रहते हैं. यही वजह है कि सरकार भी उनकी सुनती है और एक्शन लेती है.