नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन: स्कीम से किसे होगा फायदा, अनिल सिंघवी के साथ जानें डीटेल
National Monetisation Pipeline: सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपये की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) का एलान किया है. इसका मकसद इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को मोनेटाइज करना है, जिसमें एनर्जी से लेकर रोड और रेलवे सेक्टर शामिल हैं.
What is NMP: केंद्र सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपये के नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) का एलान किया है. इस स्कीम के जरिए रोड, रेलवे से लेकर पावर सेक्टर में इंफ्रा एसेट्स से मोनेटाइजेशन किया जाएगा. स्कीम के एलान के बाद यह कहा जा रहा है कि सरकारी संपत्तियों को बेचने का प्लान है. जबकि असल में ऐसा नहीं है. एसेट मोनेटाइजेशन का मतलब सरकारी संपत्तियों को बेचना नहीं, बल्कि जिनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, उनसे इनकम करना है. जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (zee business managing editor Anil Singhvi) ने NMP को आसान भाषा में समझाया और कहा कि यह स्कीम आम नागरिकों, कॉरपोरेट सेक्टर और सरकार के लिए गेमचेंजर हो सकती है.
आसान भाषा में समझें नेशनल मोनेटाइजेशन प्लान
अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) का कहना है कि लोग यह समझ रहे हैं कि सरकार 6 लाख करोड़ के सरकारी एसेट्स बेचने जा रही है. प्राइवेट सेक्टर को दे देगी या विदेशी निवेशकों को दे देगी. पहली चीज तो यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है. सरकार कोई भी एसेट बेचने नहीं जा रही है.
इसे ऐसे समझिए, आपका कोई सेकंड होम है, वहां आप कभी-कभार जाते हैं. साल में ज्यादा से ज्यादा वीकेंड पर 10-12 बार जा सकते हैं. लेकिन, इसको मेन्टेनेंस करने पर आपको ज्यादा खर्च करना पड़ता है. इसका मतलब कि आप वहां हमेशा नहीं रहते हैं, लेकिन आपको उसके रखरखाव पर भारी खर्च करना पड़ता है. यह आपके लिए एक एसेट है, लेकिन इसके मेन्टेनेंस पर ज्यादा खर्चा होता है. अब आप क्या करते हैं, किसी के साथ टाइअप कर लेते हैं. टाइम शेयरिंग के साथ वीकेंड या वीक डेज पर किराये पर लगा देते हैं. जिससे आपको कमाई होने लगती है और एसेट का भी रखरखाव होता रहता है.
असल में, सरकार भी यही करने जा रही है. सरकारी कंपनियों की जो एसेट्स है वो पूरी तरह इस्तेमाल में नहीं है. इस स्कीम में अब सरकार प्राइवेट कंपनियों को सरकारी एसेट्स लीज या किराये पर देगी, जिसकी एवज में उसे एक फिक्स पैसा मिलेगा. प्राइवेट कंपनी ही इसे मेन्टेन करेगी और एक तय समय 5 साल, 10 साल या जो भी समय तय हो, उसके बाद सरकार को एसेट वापस कर देगी. सरकार का इरादा सरकारी संपत्तियों से किराया वसूलना है. इसी के चलते सरकार 6 लाख करोड़ का मोनेटाइजेशन प्लान ला रही है.
गेमचेंजर स्कीम हो सकती है NMP
अनिल सिंघवी का कहना है, इस स्कीम से फायदा यह है कि प्राइवेट सेक्टर कस्टमर लेकर आएंगे. वो भी पैसे कमाएंगे, कंज्यूमर को भी सस्ता पड़ेगा और सरकार को भी पैसा मिलेगा. स्कीम में सबसे बड़ा चैलेंज एग्जीक्यूशन को लेकर है. इसको बोलने, सुनने में आसान लग रहा है. लेकिन इस प्लान का एग्जीक्यूशन ही इसकी सफलता को तय करेगा. सरकार के प्लान जब ग्राउंट पर आते हैं, तो उनमें कई तरह की दिक्कतें आती है. कई तरह के अप्रूवल लेने होते हैं. इसी तरह, इस तरह की चीजों में भी इतना आसान नहीं है. बहरहाल, इसके बारे में सरकर ने पहल की है, यह अहम है. हमें अब इसका एग्जीक्यूशन देखना है. यह स्कीम नागरिकों, कॉरपोरेट सेक्टर और सरकार के लिए गेमचेंजर हो सकती है.
क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन प्लान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 23 अगस्त को 6 लाख करोड़ रुपये की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) का एलान किया. इसका मकसद इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स को मोनेटाइज करना है, जिसमें एनर्जी से लेकर रोड और रेलवे सेक्टर शामिल हैं. वित्त मंत्री का कहना था कि एसेट मोनेटाइजेशन में भूमि को बेचना शामिल नहीं है और यह ब्राउनफील्ड एसेट्स को मोनेटाइज करने को लेकर है. सभी सेक्टर्स में प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई थी, जिसमें रोड, रेलवे और एनर्जी सेक्टर सबसे अहम हैं.
NMP में वित्त वर्ष 2022 से 2025 के बीच चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की एसेट्स के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये के कुल मोनेटाइजेशन का अनुमान लगाया गया है. एसेट्स की ओनरशिप सरकार के पास रहेगी.