PLI Scheme For Chemical & Petrochemicals Industry: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर को PLI Scheme यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव्स देने पर विचार करेगी. इन दोनों सेक्टर के प्रोडक्ट्स के लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने पर काम किया जाएगा. इसी वजह से दोनों सेक्टर के लिए सरकार PLI Scheme लाने पर विचार कर रही है. पॉल्यूशन को रोकने के लिए सख्त रेगुलेशन्स और मजदूरी की बढ़ती लागत को देखते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि केमिकल इंडस्ट्री में ग्लोबल मैन्यूफैक्चर्र अपने प्रोडक्ट्स और प्रोडक्शन क्षमता को डायवर्सिफाइ करने पर विचार कर रहे हैं और इसका फायदा भारत उठा सकता है. भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाकर इसका फायदा उठाया जा सकता है. 

घरेलू बाजार को होगा फायदा!

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इसके अलावा, भारत में घरेलू बाजार की क्षमता काफी बड़ी है. 'भारत में ग्लोबल केमिकल और पेट्रोकेमिकल मैन्यूफैक्चरिंग हब' समिट के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये बात कही. उन्होंने आगे कहा कि अगर व्यवहार्य विकल्प मौजूद हैं, तो यह ऐसे बाजारों में मौजूद है जहां घरेलू बफर है और जिसके आगे निर्यात की संभावना है. तो यही वह जगह है जहां सरकार की नीतियां सुविधा प्रदान कर रही हैं. 

भारत को बनाना है मैन्यूफैक्चरिंग हब

उन्होंने आगे कहा कि भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के पक्ष में हैं और इसलिए केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर्स को प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव्स को देने पर विचार किया जा रहा है. वित्त मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि जिस उद्योग में काफी संभावनाएं हैं, उसे स्थिरता, कार्बन उत्सर्जन, सामान्य प्रदूषण और भूजल प्रदूषण आदि को ध्यान में रखते हुए विनिर्माण क्षमता बनानी चाहिए. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि हमे याद रखना चाहिए कि भारत ने 2047 तक एनर्जी स्वतंत्र देश बनने को लेकर लक्ष्य तय किया हुआ है और साल 2070 तक नेट जीरो का टारगेट पूरा करना है. उन्होंने आगे कहा कि जब तक हर इंडस्ट्री और हर सेक्टर अपना योगदान नहीं देगा, तब तक नेट जीरो के लक्ष्य को पूरा नहीं किया सकेगा. 

ग्रीन हाइड्रोजन पर भी ध्यान देना जरूरी

उन्होंने आगे कहा कि हम ग्रीन ग्रोथ को लेकर काफी फोकस हैं. कार्बन उत्सर्जन को कम करना है और इसके लिए सभी सेक्टर को योगदान करने की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि हाइड्रोजन मिशन को लेकर भी इंडस्ट्री को ध्यान रखना जरूरी है. सरकार ने 19744 करोड़ रुपए के इन्सेंटिव्स को अप्रूव कर दिया है. इससे एमिशन को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोन पर फोकस करना जरूरी है. 

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