Stocks to Watch: नेशनल फॉर्मास्‍युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने NLEM (नेशनल लिस्‍ट ऑफ इसेशियल मेडिसिन्‍स) के अंतर्गत आने वाली दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. बीते 10 साल में यह सबसे ज्‍यादा बढ़ोतरी है. बीते कुछ तिमाही में कच्‍चे माल की कीमतों में अच्‍छी खासी बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही फॉर्मूलेटर्स पर भी दबाव बढ़ा है. ब्रोकरेज फर्म आनंदराठी (Anand Rathi) ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि एनपीपीए के फैसले के बाद फार्मा कंपनियां दाम बढ़ा सकेंगी. ऐसे में जिन कंपनियों का जरूरी दवाओं में एक्‍सपोजर ज्‍यादा है, उनको इसका फायदा मिलेगा. इनमें सिप्‍ला, डॉ. रेड्डीज, जायडस केडिला जैसी कंपनियां शामिल हैं. 

पहली तिमाही में रिकवरी

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आनंदराठी (Anand Rathi) का कहना है कि अप्रैल-जून 2022 तिमाही से स्‍टॉक्‍स में रिकवरी आ सकती है. NLEM के अंतर्गत आने वाली दवाओं के दाम बढ़ने से रिकवरी को सपोर्ट मिलने की उम्‍मीद है. लो बेस, बेहतर वॉल्‍यूम और कीमतों में बढ़ेातरी मिलकर ग्रोथ को रफ्तार देंगे. 

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इन शेयरों पर रखें नजर

ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि जरूरी दवाओं के दाम बढ़ाने की मंजूरी के बाद इस सेगमेंट में एक्‍सपोजर रखने वाली कंपनियों के लिए यह पॉजिटिव है. जिस कंपनी का जरूरी दवाओं के सेगमेंट ज्‍यादा जितना ज्‍यादा एक्‍सपोजर होगा, उसे उतना ज्‍यादा फायदा होगा. NLEM के अंतर्गत 30 फीसदी से ज्‍यादा एक्‍सपोजर रखने वाली कंपनियों में सिप्‍ला, जेबी केमिकल्‍स, जायडस केडिला, डॉ. रेड्डीज, एल्‍केम लैब्‍स, जीएसके फार्मा और ल्‍यूपिन हैं. वहीं, 10 फीसदी से कम एक्‍सपोजर वाली कंपनियों में टॉरेंट फार्मा, इंडोको रेमेडीज और एरिस लाइफसाइसेंस है.

ब्रोकरेज का मानना है कि  वॉल्‍यूम ग्रोथ और कीमतों में बढ़ोतरी से भारतीय फार्मास्‍युटिकल मार्केट (IPM) में 10-15 फीसदी ग्रोथ की उम्‍मीद है. लाइफस्‍टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ने से क्रोनिक ड्रग्‍स की डिमांड बढ़ेगी. इससे क्रोनिक बीमारियों के इलाज की दवाएं बनाने वाली कंपनियां जैसेकि एबॉट इंडिया, फाइजर इंडिया, एरिस, टॉरेंट और अंजता फार्मा के लिए बेहतर मौके बनेंगे. 

 

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां शेयरों में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)