Stock Markets Crash: घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली से निवेशक और ट्रेडर्स जबरदस्त गिरावट देख रहे हैं. बुधवार को बाजार लगातार 5वें दिन गिरावट के साथ बंद हुए. निफ्टी साढ़े 4 महीने के निचले स्तरों पर लुढ़क गया. आज के कारोबार में निफ्टी 324 अंक गिरकर 23,559 पर बंद हुआ. सेंसेक्स 984 अंक गिरकर 77,690 पर बंद हुआ और निफ्टी बैंक 1069 अंक गिरकर 50,088 पर बंद हुआ. निवेशकों को 8,28,393 करोड़ का नुकसान हुआ है.

बाजार की गिरावट पर क्या है नजरिया?

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मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि ये बाजार में गिरावट का तीसरा दौर चल रहा है. पहला दौर FIIs की बिकवाली से शुरू हुआ था. दूसरा दौर कमजोर तिमाही नतीजों के चलते आया और अब तीसरे दौर में रिटेल इन्वेस्टर्स और HNIs की ओर से पैनिक सेलिंग के चलते ये गिरावट देखने को मिल रही है. बस ये बात है कि घरेलू फंड्स जो बेच रहे हैं, उन्होंने FIIs की बिकवाली का सामना भी किया है. अब इस पैनिक सेलिंग के पीछे ये कारण भी है कि तिमाही नतीजों से बाजार को सपोर्ट नहीं मिला.

उन्होंने कहा कि बाजार में चौथा ट्रिगर अमेरिका की ओर से आएगा. अगर बाजार इसके आगे भी गिरते हैं, तो इसके पीछे ग्लोबल ट्रिगर होगा. ये देखने वाली बात है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद बस अमेरिकी बाजारों में तेजी आई है, किसी और ग्लोबल बाजारों में नहीं. फिलहाल, अगर अमेरिकी बाजारों में बात बिगड़ती है, तो पूरे ग्लोबल बाजारों में तो बड़ा असर देखने को मिल ही सकता है, घरेलू बाजारों में और बड़ी गिरावट आ सकती है.

उन्होंने बुधवार की गिरावट के पीछे मेटल, ऑटो और PSU शेयरों में आए नुकसान को बताया. इन सेक्टर्स में आज 2 पर्सेंट से ज्यादा की गिरावट आई. इसके साथ ही मार्केट गुरु ने कहा कि निवेशक 23,500-23750 के रेंज में 1-2 साल के नजरिए से थोड़ा निवेश करके चल सकते हैं.

बाजार की गिरावट के पीछे क्या हैं बड़े कारण?

जैसाकि हमने बताया कि बाजार में यूं तो गिरावट के पीछे FIIs की बिकवाली और निवेशकों की पैनिक सेलिंग के साथ कमजोर तिमाही नतीजे हैं ही, बुधवार को बाजार में गिरावट के पीछे और भी कुछ वजहें रहीं.

1. निफ्टी बुधवार को अपने 200=DEMA के नीचे आ गया है. निफ्टी में 23,500 का लेवल जून-जुलाई के बाद देखा गया. ऐसे में बाजार टेक्निकल आधार पर बेयरिश जोन में आ गया है.

2. अमेरिका में इकोनॉमिक डेटा पर नजरें हैं. आज CPI के आंकड़े आने हैं. महंगाई के आंकड़े कई मायनों में अहम हैं क्योंकि इससे US Federal Reserve Bank का रेट कट पर रुख तय होगा कि आगे कितने और कब रेट कट आएंगे. अगर महंगाई बढ़कर आती है, तो रेट कट कम आएंगे, जिससे डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होगी, इससे विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसा निकालकर यील्ड जैसे सेफ ऑप्शन में कमाई करना पसंद करेंगे.

3. इसके अलावा, यूएस में ट्रंप की सरकार बन रही है. ट्रंप अपना कैबिनेट तैयार कर रहे हैं और ट्रंप प्रशासन की छवि चीन के बाजारों के खिलाफ रही है, लेकिन उनके इस रुख से इमर्जिंग मार्केट्स के लिए भी दिक्कत हो सकती है, जो बाजारों का मूड खराब कर सकता है.