Stock Market: शेयर बाजार के लिए इस हफ्ते कोई बड़ा इवेंट नहीं है, लेकिन ग्लोबल सेंटीमेंट और विदेशी निवेशकों (FIIs Investment in Market) के निवेश से बाजार की चाल तय होगी. बाजार के जानकारों के मुताबिक बाजार में इस हफ्ते खरीदारी और बिकवाली का तगड़ा माहौल देख सकते हैं. चुंकि पिछले हफ्ते ग्लोबल मार्केट (Global Market Fall) तेज गिरावट देखने को मिली थी. ऐसे में भारतीय बाजार (Indian Stock Market) भी नए हाई से फिसल गए हैं. BSE का सेंसेक्स 843 अंक यानी करीब डेढ़ परसेंट नीचे बंद हुआ. इसी तरह निफ्टी भी 227 अंक (1.23%) गिरकर बंद हुआ है. इस बिकवाली की बड़ी वजह दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की दरों में बढ़ोतरी रही. इससे इक्विटी मार्केट पर दबाव देखने को मिला.

इस हफ्ते कैसा रहेगा बाजार का सेंटीमेंट

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स्वास्तिका इनवेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा के मुताबिक इस हफ्ते कोई बड़ा इवेंट नहीं है. ऐसे में हम तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच कड़ा मुकाबला देख सकते हैं. अमेरिकी बाजार (US Market) इस समय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की मीटिंग के बाद बिकवाली की दूसरी लहर का अनुभव कर रहा है. संभव है कि बिकवाली का यह रुझान आगे भी जारी रहे. उन्होंने आगे कहा विदेशी निवेशक यानी FIIs दिसंबर के एक अहम हिस्से में नेट सेलर्स थे. इसलिए इंस्टीट्युशनल फ्लो एक और महत्वपूर्ण कारक होगा, जो बाजार पर असर डाल सकता है.

बीते हफ्ते क्यों टूटे थे ग्लोबल मार्केट

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के टेक्निकल रिसर्च वॉइस प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा ने कहा कि किसी भी बड़े इवेंट के न होने से बाजार ग्लोबल इंडेक्स (Global Index) खासकर अमेरिकी इंडिकेटर्स से प्रभावित होगा. यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) और बैंक ऑफ इंग्लैंड (BOE) जैसे ग्लोबल सेंट्रल बैंकों (Global Central Banks) ने नीतिगत दरों में वृद्धि और आक्रामक टिप्पणी देने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) को फॉलो किया. इस वजह से पिछले हफ्ते दुनिया भर के बाजारों में गिरावट आई.

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आगे कैसी रहेगी बाजार की चाल

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि फेडरल रिजर्व ने तेजतर्रार रुख को बरकरार रखा, जबकि निवेशक कुछ नरमी की उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रमुख घटनाक्रम की कमी के कारण इस सप्ताह घरेलू बाजार वैश्विक (Stock Market Outlook) सूचकांकों का अनुसरण कर सकते हैं. इसके अलावा आगामी सर्दियों की छुट्टी के कारण संस्थागत निवेशकों की कम भागीदारी से बाजार में सुस्ती बनी रहेगी.