Stock Market Fraud: मौजूदा समय में भारतीय शेयर बाजार नए रिकॉर्ड स्तर पर है. 23 मई को भी शेयर बाजार ने रिकॉर्ड लेवल के साथ क्लोजिंग की है. सेंसेक्स और निफ्टी 50 इंडेक्स ने हरे निशान के साथ क्लोजिंग की और दोनों ही इंडेक्स ने रिकॉर्ड लेवल बनाए. लेकिन शेयर बाजार से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है. शेयर मार्केट से जुड़े ज्यादातर फ्रॉड में मार्केट डाटा का इस्तेमाल कर निवेशकों को लुभावने रिटर्न का लालच देकर फंसाया जाता  है. डीमैट की तरह फर्जी खाते और रियल टाइम मार्केट डाटा दिखाकर मोटा रिटर्न दिखाया जाता है. सवाल है कि ऐसे धोखाधड़ी करने वालों को डाटा कहां से मिलता है और आखिर इसे रोका कैसे जाए. इस खबर में जानिए कि इस तरह के फ्रॉड से कैसे बच सकते हैं और पहचान कर सकते हैं. 

कैसे फंसाए जा रहे हैं निवेशक?

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शेयर बाजार के डाटा का इस्तेमाल करके छोटे निवेशकों को लुभावने रिटर्न का लालच देकर फंसाने वाले कई मामले सामने आए हैं. इस फ्रॉड में निवेशकों को छोटी रकम पर मोटा रिटर्न दिखाकर मुनाफा निकालने की सुविधा है. मुनाफा देखकर और ज्यादा रकम निवेश के नाम पर लेने की कोशिश होती है.

इसके अलावा रकम बढ़ने पर केवल मार्केट डाटा दिखाते हैं और एक्जिट से रोकते हैं. निवेशकों को लगता है कि वाकई में उनके खाते में शेयर है, जिसने मोटा रिटर्न दिया है. लेकिन बाद में निवेशकों के कॉल उठाना बंद कर देते हैं और मेसेज ब्लॉक कर देते हैं, जिसकी वजह से निवेशक काफी परेशान रहते हैं. 

मार्केट डाटा के दुरुपयोग पर कैसे लगे रोक?

हाल के महीनों में ज्यादातर फ्रॉड में मार्केट डाटा का इस्तेमाल किया गया है. मार्केट डाटा का इस्तेमाल कर फर्जी खाते, झूठे रिटर्न का दावा किया जाता है. बड़ा सवाल है कि फ्रॉड करने वालों को कौन दे रहा है मार्केट डाटा. एक्सचेंजेज, ब्रोकर्स, सेबी की मामले पर चर्चा जारी है लेकिन कोई ठोस उपाय नहीं अभी तक नहीं निकला है. 

मोटे तौर पर सहमति थी कि एक्सचेंज, ब्रोकर डाटा साझा न करें लेकिन डब्बा ट्रेडिंग में और मार्केट गेम में पहले से ही डाटा का इस्तेमाल हो रहा है. वर्किंग ग्रुप की सिफारिश थी कि एनफोर्समेंट को बढ़ाया जाए. अब सेबी गूगल, मेटा से फर्जी वेबसाइट और ग्रुप ब्लॉक करा रही है. लेकिन मार्केट डाटा की शेयरिंग और चोरी नहीं रुक पा रही है.