Sovereign Green Bonds: भारत सरकार पहली बार ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) के जरिए पैसा जुटाने जा रही है. आज 25 जनवरी को RBI सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bond) की पहली किस्त जारी की. करेंट फाइनेंशियल ईयर यानी 31 मार्च 2023 तक सरकार ने ग्रीन बॉन्ड से 16000 रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा हैं. भारत सरकार ने सस्ती दरों पर क्लीन एनर्जी के लिए पैसे जुटाने के लिए ये कदम उठाया और उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया.

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भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को एक बयान में कहा कि सरकार ने 80 अरब रुपये (1 अरब डॉलर) की सिक्योरिटीज बेचीं, जिसमें 40 अरब रुपए 10 साल के लिए और और बाकि के 5 साल के लिए इशू हुए हैं. 10-वर्षीय बॉन्ड की कीमत 7.29% के कूपन पर रखी गई, जो सिमिलर मैच्योरिटी सॉवरेन डेब्ट से 6 बेसिस पॉइंट से कम है. 

2 फेज में इश्यू होंगे SGB

25 जनवरी 2023 को 8000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी हुए है. इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए गए. इसके अलावा 9 फरवरी 2023 को अगली किस्त के तौर पर 8000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे. जिसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे. 

क्यों जारी होंगे सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड?

देश की इकोनॉमी की कार्बन इंटेंसिटी को कम करने के उद्देश्य से ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे. यूनियन बजट 2022-23 (Union Budget 2022-23) में इसके बारे में जानकारी दी गई थी. बता दें कि ग्रीन बॉन्ड्स एक तरह से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं, जिनका इस्तेमाल पर्यावरण को सपोर्ट करने और क्लाइमेट संबंधी प्रोजेक्ट्स को जनरेट करने के लिए किया जाता है. 

क्या होते है ग्रीन बॉन्ड?

ये ऐसे बॉन्ड होते हैं जिनका उपयोग सरकार ऐसी वित्तीय परियोजनाओं में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है. ग्रीन बॉन्ड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लॉन्च किया था. ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो की ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए धनराशि जुटाने में मदद करता है. इन बॉन्ड्स से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक क्षेत्र के उन प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा जिससे इकॉनमी की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो.

ग्रीन बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में शामिल है. इनमें से कुछ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा  कुशलता, स्वच्छ परिवहन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स है. सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के ज़रिये विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है. ये बॉन्ड लम्बे और डोमिनेटिंग होते है. एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स से पैसा जुटाना आसान हो जाता है. केंद्र सरकार ने दूसरी छमाही के लिए 5.92 लाख करोड़ रुपए का उधार लेने का लक्ष्य तय किया है.

क्या है निवेशकों के लिए फायदा?

एक्सपर्ट का कहना है कि निवेशकों को इन बॉन्ड के जरिए कम समय में बेहतर और सेफ रिटर्न मिलते हैं क्योंकि इसमें मिलने वाला रिटर्न पहले ही तय हो जाता है. RBI ने एक प्रेस रिलीज में जानकारी दी है कि इन बॉन्ड्स को यूनिफॉर्म प्राइस ऑक्शन के माध्यम से जारी किया जाएगा. बॉन्ड की कुल राशि में से 5 फीसदी के बराबर की राशि के बॉन्ड रिटेल इंवेस्टर्स के लिए रिजर्व रखे जाएंगे.

 

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