राजस्थान में जल्द होगा किसानों का कर्जमाफ, राज्य सरकार ने बनाई यह योजना
राजस्थान में कर्जमाफी के बाद सरकार पर 18 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. जिसमें से 6 हजार करोड़ रुपये का भार तो पिछली सरकार ही छोड़कर गई है.
राजस्थान में किसानों की कर्जमाफी को लेकर काउंनडाउन शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट की पहली मीटिंग में कर्जमाफी के लिए नई कमेटी का गठन करेंगे और यह कमेटी कर्जमाफी के मापदंड तय करेगी. कर्जमाफी के लिए सरकार 9 राज्यों के पैटर्न की समीक्षा करके नए मापदंड तय करेगी. इसके लिए अधिकारी विभिन्न राज्यों का दौरा कर वहां की कर्जमाफी योजनाओं की समीक्षा करेंगे और तीन दिन के अंदर प्रमुख सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.
जानकारी के मुताबिरक, अधिकारियों का दल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना जैसे राज्यों का दौरा करेगा.
सरकार पर 18 हजार करोड़ का बोझ
सहकारिता रजिस्ट्रार नीरज कुमार पवन ने इस संबंध में आदेश जारी किए है. इन सभी राज्यों में अलग-अलग मॉडल अपना कर किसानों के लिए कर्जमाफी की योजना तैयार की जाएगी. अध्ययन के लिए अधिकारियों को तीन दिन का समय दिया गया है. अब सहकारी बैंकों के अधिकारी और सहकारिता विभाग के अधिकारी फंड जुटाने में लगे हुए है.
राजस्थान में कर्जमाफी के बाद सरकार पर 18 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. जिसमें से 6 हजार करोड़ रुपये का भार तो पिछली सरकार ही छोड़कर गई है. इसलिए सहकारिता विभाग लगातार जद्दोजहद में लगा हुआ है. इस कर्जमाफी में सबसे ज्यादा भला गरीब किसानों का होगा.
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के एक बयान के बाद किसानों की उम्मीदे और बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा था कि डिफाल्टर्स के साथ-साथ ईमानदार किसानों का भी सरकार कर्ज माफ करेगी. क्योंकि, पूरे राजस्थान में किसानों की यही मांग उठ रही है कि सभी किसानों का कर्ज माफ हो.
किसानों की आंखों में उम्मीद की चमक
कर्जमाफी के ऐलान के बाद अब किसानों की आंखों में उम्मीदों की चमक दिखाई दे रही है. खासकर उन किसानों की जिनकी आय बहुत कम है और परिवार बड़ा. भांकरोटा निवासी रामलाल ने 2 लाख रुपये का फसली ऋण व्यवसायिक बैंक से ले रखा है. उनके परिवार में 10 सदस्य हैं और परिवार की माली हालत भी ठीक नहीं है.यानी ऋण चुकाने में राजाराम सक्षम नहीं है. राजाराम के छोटे बच्चे हैं. परिवार में पक्की रसोई तक नहीं है और खाना भी लकड़ी के चूल्हे पर पकता है.
ऐसे परिवारों की स्थिति को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिरकार कौन से परिवार को कर्जमाफी की जरूरत सबसे ज्यादा है. यदि सरकार भी इसी पहलू को देखकर कर्ज माफ करे तो गरीब किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है.