क्या होता है Dividend? किसे और क्यों मिलता है? जानिए कब डिविडेंड वाली कंपनियों से रहना चाहिए दूर
Written By: अनुज मौर्या
Sat, May 04, 2024 03:07 PM IST
आजकल आए दिन किसी न किसी कंपनी के नतीजे आ रहे हैं. इन नतीजे के बीच ये बार-बार सुनने को मिल रहा है कि कंपनियां अपने शेयरधारकों को डिविडेंड (Dividend) भी दे रही हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह डिविडेंड होता क्या है? सवाल यह भी है कि आखिर कंपनी डिविडेंड क्यों देती है? क्या कंपनी को डिविडेंड देना जरूरी होता है? कुछ कंपनियां डिविडेंड देती हैं और कुछ नहीं, ऐसा क्यों? क्या डिविडेंड देने वाली कंपनी में पैसे लगाने चाहिए? आइए जानते हैं डिविडेंड के बारे में सब कुछ.
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पहले समझिए डिविडेंड क्या होता है
तमाम कंपनियां अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा अपने शेरहोल्डर्स में बांट सकती हैं और कंपनी के प्रॉफिट में से बांटे हुए इसी हिस्से को डिविडेंड कहा जाता है. उदाहरण के अगर आपके पास एक कंपनी के 1000 शेयर्स हैं और वह कंपनी ₹10 प्रति शेयर का डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो हमें आपको 1000 शेयर्स पर टोटल ₹10,000 का डिविडेंड मिलेगा. डिविडेंड सीधे आपके उस बैंक अकाउंट में आता है, जिसे आपने डिमैट अकाउंट खुलवाते समय दिया था.
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फेस वैल्यू पर निर्भर होता है डिविडेंड
किसी भी शेयर की दो तरह की वैल्यू होती हैं, पहली है फेस वैल्यू और दूसरी है मार्केट वैल्यू. मार्केट वैल्यू तो सभी समझते हैं. ये वह वैल्यू होता है, जिस पर बाजार में किसी कंपनी के शेयर ट्रेड कर रहे होते हैं. वहीं फेस वैल्यू कंपनी की तरफ से शेयरों की संख्या निर्धारित करते हुए तय की गई वैल्यू होती है, जो 1-10 रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है. डिविडेंड को कंपनियों की फेस वैल्यू के परसेंट के फॉर्म में बताया जाता है. जैसे अगर एक कंपनी की फेस वैल्यू ₹5 है और कंपनी ₹5 प्रति शेयर का डिविडेंड देने की घोषणा करती है, तो यह कहा जाएगा कि कंपनी ने 100% का डिविडेंड डिक्लेयर किया है. वहीं अगर यही कंपनी ₹10 प्रति शेयर का डिविडेंड डिक्लेयर करती है तो यह कहा जाएगा की कंपनी ने 200% का डिविडेंड दिया है.
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डिविडेंड में ये 3 तारीखें हैं अहम
जब भी डिविडेंड की बात आती है तो आपको इससे जुड़ी 3 तराखों के बारे में पता होना चाहिए. पहली है अनाउंसमेंट डेट, दूसरी है रिकॉर्ड डेट और तीसरी है पेमेंट डेट. जब कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो उसे अनाउंसमेंट डेट कहा जाता है. इसमें कंपनी यह भी बताती है कि वह कितने रुपए का डिविडेंड देने वाली है और इसी डेट के बाद पब्लिक को पता चलता है कि कंपनी डिविडेंड देने वाली है. वहीं रिकॉर्ड डेट वह तारीख है, जिस पर आपके डीमैट खाते में कंपनी के शेयर होने जरूरी हैं, तभी आपको उस कंपनी का डिविडेंड मिलेगा. तीसरी तारीख है पेमेंट डेट, जिस तारीख को डिविडेंड आपके खाते में क्रेडिट होता है.
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हर कंपनी क्यों नहीं देती डिविडेंड?
डिविडेंड देना या ना देना यह कंपनी पर निर्भर करता है. कंपनी चाहे तो डिविडेंड दे सकती है, चाहे तो डिविडेंड में दिया जाने वाला पैसा बचाकर बिजनेस को बढ़ाने में लगा सकती है. ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जो नियमित रूप से अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती हैं, यानी अपने मुनाफे का एक हिस्सा उन्हें बांटती हैं. वहीं ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं, जो अपने मुनाफे को शेयरधारकों में न बांटकर कंपनी की ही ग्रोथ में लगाती हैं. ऐसी कंपनियों का मानना होता है कि अगर मुनाफे को कंपनी की ही ग्रोथ में लगाया जाएगा, तो इससे आने वाले वक्त में कंपनी की शेयर वैल्यू बढ़ेगी, जिससे सीधे-सीधे शेयरधारकों को ही फायदा होगा.
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क्यों दिया जाता है डिविडेंड?
एक बहुत बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर डिविडेंड दिया ही क्यों जाता है? अगर कंपनी के पास विकल्प है कि वह डिविडेंड ना दें तो उसे कंपनी की ही ग्रोथ में क्यों नहीं लगाया जाता? दरअसल, जो कंपनियां डिविडेंड देती हैं वह मानती हैं कि इससे और लोग भी निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. साथ ही जिन्होंने निवेश किया हुआ है, वह कंपनी में अपना निवेश बनाए रखेंगे, क्योंकि उन्हें नियमित रूप से एक रिटर्न मिलता रहेगा. कुछ कंपनियां यह भी कहती हैं कि शेयर होल्डर कंपनी के मालिक ही होते हैं, ऐसे में मुनाफे का एक हिस्सा उन्हें मिलना उनका अधिकार होता है.
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कब दिया जाता है डिविडेंड?
यहां एक सवाल यह भी उठता है कि आखिर डिविडेंड दिया कब जाता है? आपको बता दें कि डिविडेंड देने के लिए कोई तय नियम नहीं है. आमतौर पर कंपनियां हर तिमाही नतीजे के बाद डिविडेंड देना पसंद करती हैं, लेकिन कई बार कुछ कंपनियां नतीजों से पहले भी या बीच में ही डिविडेंड दे देती हैं. यानी कंपनियां जब चाहे तब डिविडेंड दे सकती हैं.
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क्या होता है डिविडेंड यील्ड?
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