NSE Co-location Scam: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के को-लोकेशन स्कैम में जांच का सामना कर रही NSE की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) को बड़ा झटका लगा है. एनएसई बोर्ड ने Chitra Ramkrishna और अन्य के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दी है. पिछले हफ्ते NSE की बोर्ड बैठक में इजाजत दी गई है. NSE ने केस चलाने के बोर्ड के फैसले की जानकारी सीबीआई (CBI) को भी दी है. NSE Co-location केस में सीबीआई ने बोर्ड से केस की इजाजत मांगी थी.

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क्या है NSE Co-location Scam?

को-लोकेशन स्कैम मामले में साल 2018 में एफआईआर दर्ज हुई थी. एनएसई की को-लोकेशन सेवा होती है, जिसके तहत ब्रोकरेज फर्म्स को अपने सर्वर एनएसई कैंपस में रखने की अनुमति होती है, इससे उन्हें मार्केट अपडेट्स तेजी से मिलते हैं. लेकिन जांच में सामने आया कि इस सर्विस के जरिए कुछ ब्रोकर्स ने छेड़छाड़ करके करोड़ों का मुनाफा कमाया है. आरोप थे कि NSE ने कुछ ट्रेडर्स को एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग को बढ़ाने के लिए कुछ ब्रोकर्स को अवैध तरीके से इसका एक्सेस दिया था. इसको लेकर सीबीआई ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम से पूछताछ की थी.

 

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पूर्व एमडी और सीईओ पर जो सबसे बड़ा आरोप लगा वो ये था कि वो 'हिमालय पर बैठे किसी योगी' से सलाह लेकर NSE का कामकाज चला रही थीं और उसकी ही सलाह से फैसले लेती थीं. 

SEBI ने एनएसई, रामकृष्ण और रवि नारायण समेत दो दूसरे अधिकारियों पर सीनियर लेवल पर भर्ती में खामियों को लेकर जुर्माना लगाया था. नारायण 1994 से मार्च, 2013 तक एनएसई के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर.जबकि रामकृष्ण अप्रैल, 2013 से दिसंबर, 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ थीं.

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