Nivesh ka Funda: अगले 3-5 साल के लिए बाजार से मिल सकता है रिजनेबल रिटर्न, म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक्सपर्ट की सलाह
Nivesh ka Funda: प्रशांत जैन ने कहा कि शेयर मार्केट में शॉर्ट टर्म में आमतौर पर Volatility रहती है. पिछले 6 महीने में इसमें करीब 8 से 10 फीसदी का करेक्शन देखने को मिला है. सारी चीजों के देखते हुए इस करेक्शन को अच्छा कहा जा सकता है.
Nivesh ka Funda: जी बिजनेस की खास सीरीज 'निवेश का फंडा' में हम आपकी म्यूचुअल फंड के दिग्गज फंड मैनेजर्स से मुलाकात कराते हैं. दरअसल इस माहौल में निवेशक जानना चाहते हैं कि वो कहां और किस तरह के फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं. शुक्रवार (11 मार्च, 2022) को जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने देश के दिग्गज और प्रतिष्ठत एचडीएफसी म्यूचुअल फंड के ED और CIO प्रशांत जैन से खास बातचीत की.
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अभी बाजार अस्थिर और कमजोर भी है ऐसे में म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स थोड़ा डरे हुए हैं. उन्हें नुकसान की आशंका सता रही है. कुछ निवेशकों के मन में सवाल है कि अभी पैसा Withdraw कर लें और हालात बेहतर होने पर भी निवेश करें. इसपर एक्सपर्ट ने कहा कि शेयर मार्केट में शॉर्ट टर्म में आमतौर पर Volatility रहती है. पिछले 6 महीने में इसमें करीब 8 से 10 फीसदी का करेक्शन देखने को मिला है. सारी चीजों के देखते हुए इस करेक्शन को अच्छा कहा जा सकता है.
नए निवेशक कैसे करें तैयारी?
बाजार अभी सस्ता नहीं है और इसमें हमें अगले 3 से 5 साल के लिए सामान्य रिटर्न की अपेक्षा करनी चाहिए. ऐसे में नए निवेशकों को सामान्य रिटर्न यानी जीडीपी ग्रोथ के बराबर रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए. लेकिन लंबे समय में ये अच्छा रिटर्न देता है. वहीं उन्होंने उम्मीद जताई कि रुस-यूक्रेन संकट का ऑयल सप्लाई पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
मार्केट को लेकर राय
इक्विटी की बात करें तो बड़ी बिकवाली के बावजूद मार्केट पर ज्यादा असर नहीं पड़ा. प्रशांत जैन के मुताबिक घरेलू इन्वेस्टर्स के ज्यादा निवेश से FII में बिकवाली से Volatility में कमी आ रही है. ये बाजार के लिए एक अच्छा संकेत है. उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई से हमारी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. वहीं इस संकट के दूर होने के बाद हमारा फोकस फिर यूएस इंटरेस्ट रेट और वहां के इन्फ्लेशन पर आ जाएगा.
कहां लगाएं पैसा?
एक्सपर्ट ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में पिछले दिनों अच्छा करेक्शन देखने को मिला है. इसके वैल्यूएशंस भी रिजनेबल हैं. बढ़ती महंगाई की वजह से कंज्यूमर गुड्स सेक्टर पर असर पड़ सकता है. कमोडिटीज में बढ़ते इन्फ्लेशन की वजह से मार्जिन पर भी दबाव रह सकता है. वहीं इस सेक्टर के पीई मल्टीपल भी ज्यादा हैं. निवेश को लेकर उन्होंने कहा कि फिक्स इनकम में ज्यादा पैसा लगाने के बावजूद रिटर्न कम मिलता है. जबकि इक्विटी में लंबे समय के लिए रिस्क कम और रिटर्न ज्यादा होता है.
(डिस्क्लेमर: यहां निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस/एक्सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)