फ्यूचर एंड ऑप्शन को लेकर रेग्युलेशन का फैसला SEBI का होगा : निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा कि Future and Option को लेकर किसी तरह के रेग्युलेशन का काम SEBI का है. सिक्टोरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स बढ़ाकर निवेशकों को संकेत दिया गया है कि खतरा ज्यादा है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डेरिवेटिव्स सेगमेंट में बहुत ज्यादा उथल-पुथल को लेकर जारी चिंताओं के बीच शुक्रवार को कहा कि फ्यूचर एवं ऑप्शन मार्केट का नियमन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) का काम है. एक खास बातचीत के दौरान वित्त मंत्री ने कहा, "हमारा मानना है कि इस संबंध में मार्केट का नियमन सेबी का काम है. वे फ्यूचर एवं ऑप्शन मार्केट में हो रही सट्टेबाजी को लेकर चिंता व्यक्त करते रहते हैं."
STT टैक्स बढ़ाकर संकेत देने की कोशिश
निवेश के लिए ज्यादा स्थिर एवं परिपक्व माहौल तैयार करने के लिए सरकार ने केंद्रीय बजट 2024 में फ्यूचर एवं ऑप्शन ट्रेडिंग पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) लगाने की घोषणा की है. वित्त मंत्री ने कहा कि फ्यूचर एवं ऑप्शन पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव इसलिए लाया गया है ताकि लोगों को यह बताया जा सके कि "सरकार उन्हें संकेत देना चाह रही है कि इस बाजार में जोखिम काफी ज्यादा है, और वे इसमें ज्यादा पैसा न लगाएं". उन्होंने कहा, "हम फ्यूचर एवं ऑप्शन बाजार में विनियमन को आकार देने का काम सेबी पर छोड़ते हैं."
सरकार हर सेक्टर में FDI पर कर रही विचार
वित्त मंत्री ने कहा कि कोई ऐसा सेक्टर नहीं है जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर सरकार विचार न कर रही हो. उन्होंने कहा, "पिछले 10 साल में हमने एफडीआई के लिए सभी सेक्टरों को खोल दिया है और उनका विस्तार किया है." चीन से एफडीआई के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी जानकारी में "इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है".
पेट्रोल-डीजल VAT के दायरे में है
पेट्रोल और डीजल अब भी माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की बजाय मूल्य वर्धित कर (वैट) के दायरे में हैं. वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि उन्हें जीएसटी के दायरे में लाने के लिए सभी राज्यों को जीएसटी में एकमत होना होगा. सीतारमण ने कहा, "यदि वे (कर की) दर तय करते हैं और मिलकर यह तय करते हैं कि पेट्रोलियम उत्पाद भी जीएसटी में शामिल होंगे, तो हम तत्काल इसे लागू कर सकते हैं." वर्तमान में पेट्रोल और डीजल के दाम हर राज्य में अलग-अलग हैं और मुख्य रूप से स्थानीय सरकारों द्वारा लागू वैट की दरों पर निर्भर करते हैं.