10 हजार का निवेश 7 साल में बन गया 28,233 रुपए, इस फंड ने दिया जबरदस्त रिटर्न
म्यूचुअल फंड इनवेस्को इंडिया ग्रोथ अपोर्च्युनिटीज फंड ने रिटर्न के मामले में एसएंडपी बीएसई 500 बेंचमार्क को पीछे छोड़ा है.
बाजार में चल रहे भारी उतार-चढ़ाव के बीच पिछले कुछ समय में लॉर्ज और मिड कैप शेयरों का मूल्यांकन आकर्षक होते जा रहा है. बजट से लेकर अब तक बीएसई सेंसेक्स में जहां 6 फीसदी की गिरावट आई, वहीं निफ्टी मिडकैप-100 में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. वहीं, निफ्टी 50 में 6 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में विश्लेषक लॉर्ज और मिड कैप के आकर्षक शेयरों में निवेश के अच्छे अवसर मान रहे हैं.
विश्लेषकों के मुताबिक, ऐसी गिरावट में निवेशकों को म्यूचुअल फंड के जरिए बाजार में अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहिए. म्यूचुअल फंड इनवेस्को इंडिया ग्रोथ अपोर्च्युनिटीज फंड ने रिटर्न के मामले में एसएंडपी बीएसई 500 बेंचमार्क को पीछे छोड़ा है.
Arthlabh.com के जून के आंकड़ों के मुताबिक, इस फंड ने 3 साल में 13.37 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि इसके बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई 250 लॉर्जकैप मिडकैप ने 12.64 फीसदी रिटर्न दिया है. 7 साल में फंड ने 15.98 और बेंचमार्क ने 14.88 फीसदी, 10 साल में फंड ने 14.36 फीसदी और बेंचमार्क ने 13.15 फीसदी का रिटर्न दिया है.
अगर किसी ने 7 साल पहले 10 हजार रुपये का निवेश किया होगा तो फंड में यह राशि 28,233 रुपये हो गई होगी, जबकि बेंचमार्क में यह 26,411 रुपये ही हुआ होगा. 10 साल में यही राशि फंड में 3.8 गुना बढ़कर 38,263 रुपये जबकि बेंचमार्क में 34,400 रुपये हुई होगी.
एसआईपी की बात करें तो इस फंड की एसआईपी का रिटर्न 7 सालों में 14.02 फीसदी रहा है जबकि बेंचमार्क का रिटर्न 13.17 फीसदी रहा है. फंड की 10 साल की एसआईपी का रिटर्न 13.56 फीसदी रहा है जबकि बेंचमार्क का रिटर्न 12.53 फीसदी रहा है. यह फंड वृद्धि और मूल्यवान स्टॉक्स का निवेश के लिए चयन करता है.
वृद्धि मतलब वह स्थापित कंपनियां जो उद्योग में अग्रणी, इक्विटी पर बेहतर रिटर्न, युवा कंपनी, उच्च वृद्धि, परिचालन का लाभ, उद्योग से बेहतर वृद्धि का नजरिया और विस्तार में सही भूमिका निभाती हों. जबकि मूल्यवान परिसंपत्तियों वाली वह कंपनियां जो टर्नअराउंड और लाभ कमाने की स्थिति में हों.
यह फंड बॉटम अप एवं टॉप डाउन के नजरिया का पालन करता है. फिलहाल, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, इंडस्ट्रियल और एनर्जी में यह ओवरवेट है, जबकि कंज्यूमर स्टेपल्स और मटेरियल्स में अंडरवेट है.