म्यूचुअल फंड में लगा रहे हैं पैसा तो निवेश से पहले जानिए फायदे से जुड़ी ये 8 बातें
बढ़ते निवेश के साथ ही कई तरह के सवाल भी निवेशकों के मन में होते हैं. म्यूचुअल फंड की खासियत है कि इसमें टैक्स सेविंग के साथ ही अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद होती है.
पिछले कुछ समय में म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह आज के दौर में इन्वेस्टमेंट का एक बेहतरीन जरिया बनता जा रहा है. लेकिन, बढ़ते निवेश के साथ ही कई तरह के सवाल भी निवेशकों के मन में होते हैं. म्यूचुअल फंड की खासियत है कि इसमें टैक्स सेविंग के साथ ही अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद होती है. हालांकि, इसमें निवेश शेयर बाजार के जोखिमों के अधीन है, लेकिन फिर यह इन दिनों निवेश का फेवरेट ऑप्शन है. आइये जानते हैं म्यूचुअल फंड से जुड़ी आपके फायदे की 8 बातें, जो आपके काम आएंगी.
कैसे करें स्मार्ट इनवेस्टमेंट
म्यूचुअल फंड के साथ ही नया निवेशक मानता है कि उसका पैसा रिस्क पर है. लेकिन, बड़ा रिटर्न चाहिए तो रिस्क तो उठाना पड़ेगा. इसलिए यह समझना जरूरी है कि कब, कहां और कैसे निवेश किया जाए. पूरा पैसा किसी एक कंपनी में इनवेस्ट न करें. क्योंकि, किसी स्थिति में कंपनी के डूबने पर आपका पैसा भी डूब सकता है. म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप अपने पैसे को एक साथ ही अलग-अलग कंपनियों में निवेश कर सकते हैं. स्टॉक्स और बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है. अगर किसी एक कंपनी में लगा पैसा डूब भी जाए तो बाकी जगह से हुआ लाभ उसे कवर कर सकता है.
रिस्क को भी करें मैनेज
म्यूचुअल फंड के रिस्क को भी मैनेज किया जा सकता है. यहां तीन कैटेगिरी हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क जैसे प्रोडक्ट्स होते हैं. अगर आप म्यूचुअल फंड लेते समय हाई रिस्क का ऑप्शन चुनेंगे तो रिस्क बहुत ज्यादा होगा. लेकिन, इसमें फायदा होने पर रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा. वहीं, मीडियम रिस्क में जोखिम कम उठाना पड़ेगा. हालांकि, इसमें रिटर्न भी मीडियम रेंज में ही दिखाई देगा. लो रिस्क जोन में आपका रिटर्न भी कम ही होता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड में आप अपना रिस्क जोन खुद मैनेज कर सकते हैं.
लिक्विडिटी का ऑप्शन
म्यूचुअल फंड में निवेश में आपको लिक्विडिटी का ऑप्शन मिलता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त आपके पास दो विकल्प होते हैं. पहला आप रेगुलर फंड में निवेश कर सकते हैं और दूसरा टैक्स सेवर फंड में निवेश करें. इन दोनों में अंतर यह है कि रेगुलर फंड में निवेश शुरू करने के कुछ महीने बाद ही आप रकम निकलना शुरू कर सकते हैं. जबकि टैक्स सेविंग फंड में 3 साल का लॉकइन पीरियड होता है. उस लॉकइन पीरियड से पहले आप इस फंड में से पैसा नहीं निकाल सकते.
टैक्स की भी बचत
म्यूचुअल फंड आपके टैक्स की भी बचत कराते हैं. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने से इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80 सी के तहत निवेश पर आयकर छूट का फायदा मिलता है. इसका मतलब है कि ऐसे म्यूचुअल फंड में निवेश पर आप आयकर की छूट ले सकते हैं.
अपनी पसंद का चुनें प्लान
सभी म्यूचुअल फंड निवेशक जो हाई, मीडियम या फिर लो रिस्क वाले फंड चूज करते हैं. वे पैसे के रिटर्न को देखते हुए ही इन्हें चुनते हैं. इसका मतलब है कि वे या तो एक ऐसा फंड चुन सकते हैं जहां कम समय में अच्छा रिटर्न मिल जाए. वहीं, दूसरी ओर वे लंबी अवधि को चुनते हैं जहां लंबे समय में प्लानिंग के साथ पैसे को इनवेस्ट किया जा सके.
अपनी जेब देखकर कर सकते हैं निवेश
म्यूचुअल फंड में निवेश अपनी जेब देखकर भी किया जा सकता है. अगर आप म्यूचुअल फंड में बड़ी राशि निवेश नहीं करना चाहते तो आप सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का प्लान चुन सकते हैं. एसआईपी में ईएमआई की तरह होता है. जिसमें हर महीने कुछ निवेश किया जा सकता है. एसआईपी से आपके ऊपर फाइनेंशियल दबाव नहीं रहता. वहीं, अगर आपके पास बड़ी रकम है तो आप एकमुश्त म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं.
500 रुपए से शुरू करें
म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए आपको बहुत मोटी रकम की जरूरत नहीं है. सिर्फ 500 रुपए से निवेश की शुरुआत की जा सककती है. सिर्फ 500 रुपए महीने में निवेश का विक्लप सबसे बेहतर है क्योंकि, इससे वित्तीय बोझ नहीं पड़ता और हर महीने एक निश्चित निवेश भी होता है.
होती है पूरी देखरेख
म्यूचुअल फंड के नियमन (रेगुलेशन) का काम सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) करता है. ऐसे में सेबी की ओर से बनाई गई गाइड लाइन का म्यूचुअल फंड कंपनियां को पालन करना होता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि निवेशकों को अनुचित और गलत तरीके से मिस गाइड नहीं किया जाए. ऐसे में यह गाइड लाइन निवेशक और म्यूचुअल फंड प्रदाता दोनों के पक्ष में काम करती हैं.