SEBI Consultation Paper: शेयर बाजार के कामकाज को और बेहतर बनाने के लिए बाजार नियामक सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक बड़ा कदम उठाया है. सेबी ने क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को स्टॉक एक्सचेंज से अलग करने का प्रस्ताव रखा है. सेबी ने क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के ओनरशिप और इकोनॉमिक स्ट्रक्चर पर कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इसी के साथ ज़ी बिजनेस की खबर पर भी मुहर लग गई है. ज़ी बिजनेस ने 23 अक्टूबर को इस बारे में खबर दी थी.

सेबी ने सुझाए हैं कुछ विकल्प, 51% रहे एक्सचेंज के पास

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सेबी ने क्लियरिंग कॉर्पोरेशन स्टॉक एक्सचेंज को अलग करने के लिए कुछ ऑप्शन सुझाए हैं. एक प्रस्ताव है कि 51% एक्सचेंज के पास रहे, बाकी 49% एक्सचेंज के शेयर होल्डर्स को दिया जाए. बाद में, एक्सचेंज अपनी हिस्सेदारी घटाकर 15% कर देगा. दूसरा प्रस्ताव कि क्लियरिंग के सारे शेयर पेरेंट एक्सचेंज के शेयर होल्डर्स को दे दिया जाए ताकि पेरेंट एक्सचेंज के शेयरहोल्डर्स आगे क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के शेयर को बेच सकें.  

क्लियरिंग कॉर्पोरेशन कमाएं मुनाफा, डिविडेंड दें

सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक क्लियरिंग कॉर्पोरेशन मुनाफा कमाएं, डिविडेंड दें और बेहतर गवर्नेंस रखें. दूसरे शब्दों में कहें तो अलग होने के बाद, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन अपना मुनाफा कमा सकेंगे और अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड दे सकेंगे. हालांकि क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की लिस्टिंग नहीं करने का प्रस्ताव है. क्लियरिंग कॉर्पोरेशन फीस और ऑपरेटिंग स्ट्रक्चर ऐसे रखें ताकि एक्सचेंज पर निर्भर नहीं हो. साथ ही कुछ क्लियरिंग कॉर्पोरेशन का आपस में मर्जर किया जाए.

क्या होते हैं क्लियरिंग कॉर्पोरेशन?

शेयर बाजार में जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो क्लियरिंग कॉर्पोरेशन यह सुनिश्चित करते हैं कि लेन-देन सही तरीके से पूरा हो. ये संस्थाएं खरीदार और विक्रेता के बीच मध्यस्थ का काम करती हैं और यह देखती हैं कि शेयर और पैसा दोनों सही जगह पहुंचें. क्लियरिंग कॉर्पोरेशन  यह सुनिश्चित करते हैं कि लेनदेन सही तरीके से हो, शेयरहोल्डर्स को शेयर मिलें और  विक्रेता को उसके पैसे मिले. अगर कोई गड़बड़ी होती है, तो  क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ही उसका निपटारा करते हैं.