कितना और टूटेंगे घरेलू बाजार? गिरते बाजार में क्या है कमाई का फंडा, जानिए MOFSL के रामदेव अग्रवाल की राय
जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) के चेयरमैन एवं को-फाउंडर रामदेव अग्रवाल के साथ मार्केट आउटलुक पर बात की.
Market Outlook: दुनियाभर के बाजारों में गिरावट, बेकाबू महंगाई पर यूएस फेड की ओर से ब्याज दरों में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी के बीच अब मंदी की आशंका जताई जा रही है. ग्लोबल अनिश्चितता का असर घरेलू बाजारों पर भी देखा जा रहा है. अभी यह आकलन करना मुश्किल हो रहा है कि बाजार कितना और टूटेंगे और इस माहौल में कमाई की क्या स्ट्रैटजी बनाना चाहिए. इन तमाम मसलों पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) के चेयरमैन एवं को-फाउंडर रामदेव अग्रवाल से बात की.
US फेड के साथ चलने में समझदारी
रामदेव अग्रवाल का कहना है, यूएस फेड की मॉनिटरी पॉलिसी बहुत अहम है. आमतौर पर उससे फाइट करके आप जीत नहीं सकते हैं. एक कंपनी, एक सेक्टर में कुछ हो सकता है. लेकिन, आमतौर पर आप उससे फाइट नहीं कर सकते हैं. यूएस फेड ब्याज दरें बढ़ा रहा है. लिक्विडिटी कम कर रहा है. अमूमन आप उनके साथ चलते में समझदारी है. लेकिन, यह बिजनेस और उसके एक्सपेंशन के लिए अच्छा नहीं है. कॉरपोरेट प्रॉफिट के लिए अच्छा नहीं है. उसके चलते स्टॉक मार्केट चाहे वो डाउ जोंस के हो या नैस्डेक के हो, उनके पीई मल्टीपल नीचे आते जाते हैं. ऐसा मुमकिन है, कि फेड के इम्पैक्ट से जितना असर होना चाहिए था, उससे ज्यादा हो जाए. बाजार ओवरशूट भी करती है, अंडरशूट भी करता है.
दो साल पहले कोविड के चलते मंदी की आशंका में बहुत ज्यादा करेंसी सर्कुलेशन में डाली गई. अमेरिका, यूरोप, जापान सभी ने करेंसी प्रिंट किया. भारत ने भी करेंसी प्रिंट किया लेकिन स्मार्टली बहुत कम किया. ऐसे में जब कोविड गया, तो डिमांड बहुत तेजी से आई. आमतौर पर जब डिमांड आता है, तो सप्लाई रिस्पांस अच्छा होता है. इस बार वो हुई नहीं. डिमांड तो बढ़ी, लेकिन सप्लाई रिस्पांस अच्छा नहीं हुआ है. अब फेड को महंगाई कंट्रोल करना है. यूएस में महंगाई दर 8-9 फीसदी चली गई है, उसे 2 फीसदी पर करने का टारगेट है. लेकिन, महंगाई पर किसी का कंट्रोल नहीं है. यह अब रुकेगा नहीं, वो -2 और -4 पर जा सकती है. अभी इक्विटी मार्केट एसेट क्लास के रूप में एक चैलेंज है.
बाजार में अभी अनलिमिटेड धैर्य रखना जरूरी
रामदेव अग्रवाल का कहना है, बाजार में पैसा कमाने के लिए विजन, साहस और धैर्य होना चाहिए. बाजार जब बढ़ता है, तब तो बहुत धैर्य रहता है. असल धैर्य तब देखा जाता है, तब मार्केट नीचे आता है. 20 साल में बाजार में 13 से 20 के बीच में पीई मल्टीपल के बीच में घूमा है. ऊपर में पीई 40 भी हुआ है. दो साल पहले ऐसा था. अभी वित्त वर्ष 2023 के लिए 18-20 का पीई है. लेकिन बाजार को मालूम नहीं कि वो कहां तक जाएगा.
अग्रवाल का कहना है, अगर आपके पास क्वालिटी के शेयर हैं, तो उनमें भी आपको फिलहाल अनलिमिटेड धैर्य रखना है. बाजार छोड़कर नहीं जाना चाहिए. अभी बाजार में कई तरह के डेवपलमेंट हैं. रूस-यूक्रेन वार है. पहले कहा जा रहा था कि यह 5-7 दिन में समाप्त हो जाएगा. अब कहा जा रहा है कि यह लंबे समय तक चलेगा. ऐसे में इसका क्रूड और अन्य दूसरी कमोडिटी की कीमतों पर असर पड़ेगा. दूसरा बड़ा फैक्टर यूएस फेड का लिक्विडिटी विद्ड्रॉल का है. अभी बात रेट कट की है. लेकिन ज्यादा असर आएगा लिक्विडिटी विद्ड्रॉल का, जब फेड 100-100 मिलियन डॉलर बॉन्ड बेचना चालू करेंगे, उसका क्या असर होगा, वो अभी आना बाकी है. इसलिए, फेड से लड़ाई करने में फायदा नहीं हैं. ऐसे में बाजार का भविष्य बताना संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि FIIs, ऑयल की कीमतें भारत के सामने बड़ी चुनौती है. ऑयल के दाम बढ़ेंगे, तो काफी दिक्कतें आएंगी. अभी एक बहुत बड़ा ग्लोबल क्राइसिस चल रहा है. ये सब कोविड और उसके बाद जियोपॉलिटिकल टेंशन का असर है. अभी ऐसे भाव नहीं आए कि बाजार में जमकर खरीदारी की जाए. बाजार में तेजी लौटने में अभी वक्त लगेगा. जब भी ग्लोबल स्थिरता आएगी, वार खत्म होगा, फेड का रुख बदलेगा, तेल की डिमांड कम होगी. वो भी कैसे होगा, वो अभी समय बताएगा.
कहां पैसा लगाने चाहिए?
रामदेव अग्रवाल का कहना है, बैंक सेक्टर बेहतर हैं. बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ 12-13 फीसदी है. अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले बैंक अच्छा करेंगे. रिकवरी में बैंक लीड करेंगे. इनमें निवेश करना चाहिए. टेक सेक्टर पर उन्होंने कहा कि इस सेगमेंट में काफी डिवाइडेड ओपिनियन है, लेकिन टेक एक अच्छी क्वालिटी सेगमेंट है. पूरी दुनिया का टेक और बैक ऑफिस जरूरत भारत ही पूरा करने वाला है. ये महंगाई प्रुफ सेगमेंट भी है. अभी टेक स्टॉक्स की दुनियाभर में बहुत पिटाई हुई है, लेकिन जो अच्छी कंपनियां है, उनमें अच्छी रिकवरी देखने को मिलेंगी.
अग्रवाल ने कहा, ब्याज दरों से जुड़ा ऑटोमोबाइल अच्छा सेगमेंट है. वहां पर भी डिमांड आ रही है. रीयल एस्टेट में डिमांड तो आनी चाहिए. रीयल्टी में इंडिविजुअल कंपनियों की बजाय REITs ज्यादा बेहतर है. अभी कई रीयल एस्टेट कंपनिया दबाव में है. कई प्रोजेक्ट्स अटके हैं. ऐसे में इनका वैल्युएशन कैसे करें. इनमें मल्टीपल तो बनता नहीं है. इनमें अर्निंग्स पर क्या करेंगे, इस साल है तो अगले साल नहीं है. ऐसे में रीयल्टी में इंडिविजुअल वैल्युएशन करना मुश्किल होता है. लेकिन, REITs अच्छे हैं. वहीं, मेटल्स शेयर काफी साइक्लिक हैं. इसमें एक अच्छा हुआ कि इनमें सभी का लिवरेज खत्म हो गया. अब उनकी बुक वैल्यू और बैलेंस शीट काफी अच्छी हो गई है. दो साल पहले जो तूफान आया, उसमें सभी ने बैलेंस शीट क्लियर कर ली. मेटल अभी भी इंटरेस्टिंग सेक्टर है. हालांकि, अभी डाउनटर्न दिख रहा है.