कई बार आप अपने दोस्तों या परिचितों को स्मॉल इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के बारे में बात करते सुनते होंगे. वह अपनी SIP बंद कर रहे हैं या SIP शुरू कर रहे हैं. सवाल है कि आखिर ये एसआईपी (SIP) है क्या? और इसके फायदे क्या हैं? जिसकी वजह से यह निवेशकों के बीच इतना पॉपुलर हो चुका है.

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क्या है एसआईपी (SIP)?

सिस्‍टमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान यानी SIP इक्विटी म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करने का सबसे बेहतरीन तरीका है. इसमें आप हर महीने 500 रुपए के छोटे निवेश से भी शुरुआत कर सकते हैं. दरअसल, सिप के जरिए म्‍यूचुअल फंड की यूनिट्स का खरीद वैल्यू ऐवरेज हो जाती है. इससे लॉन्ग टर्म में आपको बेहतर रिटर्न मिलने उम्मीद रहती है. सिप के जरिए निवेश करने से बाजार के उतार-चढ़ाव से जुड़ा जोखिम काफी कम होता है. जब बाजार में तेजी होती है तो आपको कम यूनिट अलॉट किए जाते हैं और जब बाजार में गिरावट आती है तो आपके निवेश की उतनी ही रकम में ज्‍यादा यूनिट मिल जाती हैं.

क्या हैं एसआईपी (SIP) के फायदे

1. नियमित निवेश की आदत

अगर आपने पहले ही यह तय कर लिया है कि महीने की 10 तारीख को किसी फंड में निवेश किया जाएगा, ऐसे में सिप की मदद से आपको नियमित निवेश की आदत पड़ जाती है. अगर आप सैलरीड हैं और हर महीने कुछ हजार रुपए ही बचा पाते हैं, तो सिप आपके लिए बेहतरीन रणनीति है. हर महीने कुछ हजार रुपए आपके खाते से कटते जाते हैं और लंबी अवधि में इससे अच्छी-खासी पूंजी इकट्ठी होती है.

2. ऐवरेज वैल्यू में निवेश

अगर किसी समय किसी म्यूचुअल फंड का Nav ज्यादा होता है तो उस समय आपको निवेश पर कम यूनिट्स मिलेंगी, लेकिन अगर उस समय फंड का एनएवी कम हो तो उतनी ही राशि में ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं. इस तरह सिप की मदद से आपका निवेश औसत भाव पर होता जाता है.

3. मिलता है कंपाउंडिंग का फायदा

सिप का सबसे बेहतरीन पहलू यह है कि इससे कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, यानि आपको हर महीने मिलने वाले रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता रहता है. इसकी वजह से आपकी पूंजी काफी तेजी से बढ़ती है. उदाहरण के तौर पर आप हर महीने 2,000 रुपए किसी एमएफ स्कीम में लगाएं और उस पर आपको 12 फीसदी सालाना की दर से रिटर्न मिले, तो पंद्रह सालों बाद आपको उससे 9,51,863 रुपए मिलेंगे.

अपने फाइनेंशियल टारगेट से जोड़ें सिप

सिप को आप अपने फाइनेंशियल टारगेट्स से जोड़ सकते हैं, जैसे मकान खरीदना, बच्चों की पढ़ाई के लिए फंड जुटाना, रिटायरमेंट के बाद के लिए पैसे जुटाना. हर चीज का टारगेट तय करें और फिर कितने फंड चाहिए इसका अंदाजा लगाएं. फिर उस हिसाब से निवेश तय होना चाहिए. जब आपका लक्ष्य तय होगा, तभी आप उसके लिए अच्छी एसेट कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं. ऐसे में आपको यह भी पता होगा कि आपको हर महीने कितनी बचत करनी है.

वक्त के हिसाब से तय करें निवेश विकल्प

एसेट मिक्स तय करना उस बात पर भी निर्भर करेगा कि आपके पास उस लक्ष्य को पाने के लिए कितना वक्त है. अगर आपके पास ज्यादा वक्त है तो आप इक्विटी में ज्यादा और डेट में कम एक्सपोजर करते हुए अपनी प्लानिंग बना सकते हैं. क्योंकि ज्यादा वक्त आपको ज्यादा जोखिम उठाने की क्षमता देता है. अगर आपके पास समय कम है, तो ऐसे में बेहतर यही है कि आप डेट ऑप्शन पर ज्यादा फोकस करें.

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हर साल बढ़ाएं सिप अमाउंट

अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के विवाह पर 10 लाख रुपए का खर्च आएगा और आप अब से 15 साल बाद उसकी शादी करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपको 30 लाख रुपए इस काम के लिए जुटाने होंगे. ये मान कर चल रहे हैं कि महंगाई आठ फीसदी सालाना की दर से बढ़ती रहेगी. 15 साल में 30 लाख रुपए चाहिए तो आपको हर महीने तकरीबन 6500 रुपए बचाने होंगे. अगर उस पर 12 फीसदी की दर से रिटर्न मिले. पहले कम अमाउंट से शुरू करें और बाद में थोड़ा-थोड़ा करके अमाउंट बढ़ाते रहें. हर साल आमदनी बढ़ने के साथ सिप का अमाउंट भी बढ़ाएं.