Hyundai Motor India IPO Opens: शेयर बाजार के निवेशकों के लिए IPO जल्दी पैसा कमाने का बढ़िया तरीका होता है, ऊपर से किसी आईपीओ का बज़ हो तो निवेश की होड़ और भी ज्यादा बढ़ जाती है. 15 अक्टूबर को देश का सबसे बड़ा आईपीओ- Hyundai Motor India IPO लॉन्च हुआ है. HMIL का 27,870 करोड़ रुपये (लगभग 3.3 अरब डॉलर) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) आज से खुला है और निवेशकों के पास इसमें 17 अक्टूबर तक पैसा लगाने का वक्त होगा. आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 1,865-1,960 रुपये प्रति शेयर है.

एंकर निवेशकों से जुटाए 8,315 करोड़

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कंपनी ने 14 अक्टूबर को एंकर निवेशकों से 8,315 करोड़ रुपये जुटाए हैं. BSE की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, New World Fund Inc, Singapur Gov, Fidelity Funds, Blackrock Global Funds, JP Morgan Funds, HDFC Life Insurance और SBI Life Insurance जैसी कंपनियां एंकर (बड़े) निवेशकों में शामिल थीं, जिन्हें शेयर अलॉट किए गए हैं.

Hyundai Motor India IPO पर अनिल सिंघवी की क्या राय है?

मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने Hyundai IPO को AVOID करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि निवेशकों को इसमें पैसा लगाने से बचना चाहिए. लिस्टिंग के बाद ही इसमें खरीदारी की सलाह है. साथ ही ज्यादा जोखिम ले सकने वाले निवेशक ही इसमें लॉन्ग टर्म, मिनिमम 2-3 सालों के लिए, पैसा लगाएं. उन्होंने कहा कि लिस्टिंग पर शेयर निचले स्तरों के भाव देखने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. शेयर का भाव लिस्टिंग के बाद गिर सकता है. अनिल सिंघवी ने कहा कि बड़े IPOs में लिस्टिंग गेन और शॉर्ट टर्म के लिहाज से पैसा कमाना मुश्किल होता है क्योंकि इसमें पर्याप्त अलॉटमेंट नहीं होते हैं.

Hyundai Motor India IPO की पॉजिटिव बातें

Hyundai Motor India IPO के पहले जो पॉजिटिव बातें पता होनी चाहिए, वो ये कि जाहिर है कि कंपनी बहुत मजबूत ब्रांड है. प्रमोटर्स और मैनेजमेंट बहुत अनुभवी हैं. 14% मार्केट शेयर के साथ भारत की दूसरी सबसे बड़ी पैसेंजर कार कंपनी है. इनका फाइेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा है. साथ ही आगे का ग्रोथ आउटलुक भी बहुत मजबूत दिख रहा है. आगे 32,000 करोड़ के एक्सपैंशन प्लान पर काम कर रहे हैं. 

Hyundai Motor India IPO की निगेटिव बातें

वहीं, अगर निगेटिव देखें तो सबसे पहले तो ये देश का सबसे बड़ा IPO तो है, लेकिन OFS के आधार पर है. यानी कि सारा पैसा प्रमोटर्स के पास जाएगा, न कि कंपनी के पास. दूसरा, कंपनी 25 साल से बाजार में मौजूद है, लेकिन उसके उलट आईपीओ बहुत देरी से आ रहा है, एक नजरिए से यहां बड़े वेल्थ क्रिएशन का मौका भारतीय निवेशक पहले ही खो चुके हैं. प्रमोटर्स को भविष्य में 7.5% हिस्सेदारी आगे और घटाने की जरूरत होगी. साथ ही आगे रॉयल्टी पेमेंट्स भी बढ़ा सकते हैं. ऊपर से ग्रुप की ही कंपनी है, KIA जो इसी कारोबार में है, और इससे भी Hyundai को कॉम्पटिशन मिल रहा है. इस आईपीओ में वैल्युएशन भी दूसरी प्रतिस्पर्धी कंपनियों के मुकाबले महंगा है. आखिर में EV सेगमेंट में कंपनी अभी भी बहुत मजबूत मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाई है.