भारत में तेजी से बढ़ रहा Startup कल्चर, साल 2028 तक 90 स्टार्टअप के आ सकते हैं IPO
2025 तक करीब 40 स्टार्टअप के आईपीओ आ सकते है, जबकि 2028 तक यह संख्या 90 से भी अधिक हो सकती है. लंबे वक्त से तमाम स्टार्टअप फंडिंग विंटर की मार झेल रहे हैं. इसकी वजह से उन्हें फंडिंग नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ये स्टार्टअप अब मुनाफा कमाने पर फोकस कर रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में तेजी से बहुत सारे स्टार्टअप्स (Startup) के आईपीओ (IPO) आए हैं. बहुत से ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका आईपीओ लाए जाने की बात भी हो रही है. वहीं अगले कुछ सालों में बहुत सारे स्टार्टअप के आईपीओ आने वाले हैं. हाल ही में कंसल्टिंग फर्म Redseer ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि जल्द ही बहुत सारे स्टार्टअप्स का आईपीओ आ सकता है. इसके अनुसार 2025 तक करीब 40 स्टार्टअप के आईपीओ आ सकते है, जबकि 2028 तक यह संख्या 90 से भी अधिक हो सकती है.
लंबे वक्त से तमाम स्टार्टअप फंडिंग विंटर की मार झेल रहे हैं. इसकी वजह से उन्हें फंडिंग नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ये स्टार्टअप अब मुनाफा कमाने पर फोकस कर रहे हैं, ताकि बिजनेस चलता रहे. स्टार्टअप मुनाफे पर कितना फोकस कर रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस साल की पहली तिमाही में पहली बार जोमैटो ने मुनाफा दर्ज किया है. जोमैटो को 2 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
फंडिंग ना मिलने की वजह से आईपीओ के जरिए पैसे जुटाने के लिए बहुत सारे स्टार्टअप आगे बढ़ रहे हैं. हाल ही में मामाअर्थ ब्रांड ने सेबी के पास दस्तावेज जमा किए थे और कुछ दिन पहले ही उसे आईपीओ लाने की मंजूरी मिल चुकी है. वहीं ओला भी जल्द ही आईपीओ लाने की प्लानिंग में है.
रेडशीर में पार्टनर रोहन अग्रवाल कहते हैं कि वित्त वर्ष 2028 तक करीब 90 स्टार्टअप ऐसे होंगे, जो आईपीओ के लिए तैयार होंगे. मौजूदा वित्त वर्ष में बहुत सारे स्टार्टअप्स ने मुनाफा कमाने पर फोकस किया है. उम्मीद है कि साल 2027 तक करीब 50 फीसदी भारतीय यूनीकॉर्न मुनाफे में आ जाएंगे. साल 2021 की तुलना में करीब दोगुने यूनीकॉर्न ट्रैक पर आ सकते हैं. हालांकि, सारे यूनीकॉर्न के लिए आने वाला वक्त अच्छा नहीं रहेगा. रिपोर्ट के अनुसार करीब 20 फीसदी ऐसे होंगे जो बहुत ही ज्याा बुरे दौर से गुजर सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभी स्टार्टअप के बहुत सारे मौके हैं. पब्लिक मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारत में स्टार्टअप की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी की है, जबकि अमेरिका में यह 25 फीसदी है. ये दिखाता है कि स्टार्टअप्स के लिए आने वाले दिनों में अभी बहुत सारे मौके खुलने वाले हैं.