IPO Pre Listing Price: शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराने के लिए कंपनियां सबसे पहले IPO लेकर आती हैं. IPO यानी कि इनीशिएयल पब्लिक ऑफरिंग. इस दौरान कंपनी की ओर से अपने शेयर की कीमत तय की जाती है, जिसे प्राइस बैंड कहते हैं. आईपीओ लाने के बाद उसकी लिस्टिंग की जाती है और लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर में रेगुलर ट्रे़डिंग होती है. लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि आईपीओ लिस्टिंग (IPO Listing) के पहले रेट में गड़बड़ी की जाती है, जिसे रोकने के लिए सेबी यानी कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) नया नियम लेकर आ रही है. इससे प्राइस डिस्कवरी के नाम पर होने वाली गड़बड़ी को रोका जा सकता है. यहां जानिए कि सेबी की पूरी प्लानिंग क्या है?

SEBI ला रही नए नियम

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बता दें कि आईपीओ की लिस्टिंग से पहले इश्यू प्राइस तय होता है. लिस्टिंग से आधे घंटे पहले प्री ओपनिंग सीजन चलता है. 9.45 मिनट पर प्री ओपनिंग सेशन खत्म होता है. इस समय तक प्री ओपनिंग प्राइस तय हो जाती है और 10 बजे से रेगुलर ट्रेडिंग होनी शुरू हो जाती है. इस प्राइस के तय होने के बाद सर्किट फिल्टर को तय किया जाता है. 

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जानकारी के मुताबिक, लिस्टिंग के आखिरी 10 मिनट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकेगा. सेबी की ओर से ये नियम इसलिए लाया गया है ताकि प्री ओपनिंग सेशन में आईपीओ के प्राइस (IPO Price) के साथ कोई गड़बड़ी कर रहा है तो उसको रोका जा सके. 

इसके अलावा ये बात भी सामने आ रही है कि जितने भी एक्सचेंज में आईपीओ की लिस्टिंग हो रही है तो क्या उनके लिए एक संतुलन प्राइस को तय किया जा सकता है. दोनों एक्सचेंजों के वेटेड एवरेज प्राइस को लेकर भी चर्चा हो रही है. ऐसा करने से कंपनी के आईपीओ की प्राइस डिस्कवरी और बेहतर तरीके से हो सकती है.