म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश पर आपको गारंटीड रिटर्न मिलेगा, इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) में आप मौजूदा बीमारियों को छुपा सकते हैं, अगर कोई आपको इस तरह की सलाह दे रहा है तो समझ लें कि आपके साथ मिस-सेलिंग (Mis selling) की कोशिश हो रही है.

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Money Guru में आज हम बात करेंगे कि कई बार जानकारी न होने के चलते आप फाइनेंशियल मिस सेलिंग का शिकार हो जाते हैं. इस तरह के धोखों से हमें बचना चाहिए, जागरुक रहना चाहिए. ऑप्टिमा मनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल बता रहे हैं कि किस तरह फाइनेंशियल मिस सेलिंग से बचा जा सकता है.

मिस-सेलिंग

मिस सेलिंग (Mis selling) में झूठ का सहारा लेकर फंड बेचना आता है. इसमें जानबूझकर गलत फंड बेचना, फंड की गलत जानकारी देना, फंड बेचने के लिए झूठे वादे करना, म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) की जगह ULIP बेचना, फंड के बारे में गलत या अधूरी जानकारी देना, फंड के नियम और शर्तें ठीक से न बताना और मनचाहा रिटर्न मिलने का वादा करना आदि शामिल होता है. 

ऐसे होती है मिस-सेलिंग

आपको डिविडेंड का लालच दिया जाता है. अच्छे रिटर्न के लिए यूलिप बेच दिया जाता है. बैंक की तरह रिस्क फ्री रिटर्न का झांसा दिया जाता है. प्रोडक्ट के पिछले प्रदर्शन की सही जानकारी नहीं दी जाती है. ज्यादा ब्रोकरेज के लिए आपसे झूठ बोला जाता है. फिक्स मेच्योरिटी प्लान को FD जैसा बताकर आपको बेच दिया जाता है.

डिविडेंड का लालच देना

म्यूचुअल फंड में डिविडेंड का कोई मतलब नहीं होता है. डिविडेंड के जरिए आपका ही पैसा आपको दिया जाता है. लेकिन निवेशकों को जानकारी नहीं होने पर डिविडेंड का इस्तेमाल मिस-सेलिंग के लिए किया जाता है.

अच्छे रिटर्न के लिए ULIP बेचना

किसी भी ULIP में गारंटीड रिटर्न नहीं मिल सकता. 

जीवन बीमा का कोई विकल्प नहीं है.

निवेश के हिसाब से ULIP सही नहीं.

अच्छे रिटर्न के लालच में ULIP ना लें.

मार्केट में निवेश पर रिटर्न की गारंटी कोई नहीं दे सकता. म्यूचुअल फंड निवेश मार्केट के अधीन होता है. बैंकों में निवेश जैसा नहीं होता है म्यूचुअल फंड निवेश. इसलिए अगर कोई म्यूचुअल फंड में रिटर्न की गारंटी ले तो समझें कि वह आपसे झूठ बोल रहा है. 

आपको फंड के प्रदर्शन का सही आंकड़ा नहीं बताया जाता. इसलिए निवेश से पहले कम से कम फंड का पिछले 5 साल का आंकड़ा देखना चाहिए. कई बार एजेंट 1 या 2 साल का ही प्रदर्शन दिखाते हैं. हर साल फंड अच्छा प्रदर्शन करे ये जरूरी नहीं है. इसलिए बाजार से हमेशा एक जैसा रिटर्न नहीं मिल सकता.

ज्यादा फायदे के लिए मिस सेलिंग

ज्यादा ब्रोकरेज के लिए झूठ बोलकर आपको गलत फंड बेच दिए जाते हैं. ऐसे फंड्स बेचना जिसमें ब्रोकरेज ज्यादा मिलेगा. ऐसे फंड्स के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है. ध्यान रखें कि नियम से ज्यादा ब्रोकरेज लेना गलत है. फिक्स मैच्योरिटी प्लान में रिटर्न निश्चित नहीं है. मैच्योरिटी की राशि ऊपर या नीचे हो सकती है. सेक्टोरल फंड्स में रिस्क ज्यादा होता है. क्लाइंट को रिस्क के बारे में बताना जरूरी है. क्योंकि सबकी रिस्क लेने की क्षमता अलग-अलग होती है.

जानकारी ही बचाव है

पॉलिसी फॉर्म को अच्छी तरह से पढ़ें.

पॉलिसी फॉर्म को ध्यान से भरें.

पॉलिसी फॉर्म में अधूरी या गलत जानकारी ना दें.

पॉलिसी फॉर्म की एक कॉपी अपने पास रखें.

इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट को ना मिलाएं.

इंश्योरेंस में रिस्क कवर पर फोकस करें, ना कि रिटर्न पर.

यहां कर सकते हैं शिकायत

फ्री लुक पीरियड में पॉलिसी रिटर्न कर सकते हैं. 

IRDAI से शिकायत कर सकते हैं.

शिकायत www.igms.irda.gov.in पर करें.

बैंक से पॉलिसी ली है तो बैंक लोकपाल से शिकायत करें.

बैंक से बिकने वाले प्रोडक्ट बैंक लोकपाल के दायरे में.

सेबी ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा शुरु की.

https://scores.gov.in पर लॉग-इन करना होगा.

पहली बार शिकायत कर रहे हैं तो पहले रजिस्टर करें.

रजिस्टर करने के बाद अपनी शिकायत दर्ज कराएं

एजेंट की जिम्मेदारी

पॉलिसी के बारे में सही जानकारी दें.

ग्राहक को पूरा समय दें.

हड़बड़ी में ना समझाएं पॉलिसी स्कीम.

झूठी जानकारी देने से बचें.

ज़रूरत से ज्यादा की स्कीम ना बेचें.

फॉर्म भरने में ग्राहक की मदद करें.

बनें जागरुक निवेशक

फैमिली डॉक्टर की तरह अच्छा फाइनेंशियल प्लान बनाएं.

अपनी जरूरतों के मुताबिक पोर्टफोलियो बनाएं.

निवेश के रिस्क को अच्छे से समझें.

निवेश से पहले फंड और फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड देखें.

रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार की मदद लें.

इन्वेस्टमेंट अवेयरनेस प्रोग्राम में जाएं.

www.amfiindia.com की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध.

NSE, BSE, SEBI की साइट पर इनवेस्टमेंट सीरीज देखें.

फाइनेंशियल प्रोग्राम और आर्टिकल पढ़ें.