चंदन की खेती से कर सकते हैं करोड़ों की कमाई, गुजरात के किसानों ने कायम की मिसाल
(भरूच/भरत चुडासमा)
(भरूच/भरत चुडासमा)
चंदन अपनी खुशबू को लेकर हर किसी को आकर्षक करता है. चंदन की लकड़ी बहुत महंगी बिकती है. अगर मांग और उत्पादन के हिसाब से देखा जाए तो चंदन की मांग 300 प्रतिशत है जबकि इसका उत्पादन महज 30 प्रतिशत तक होता है. भारत में ऐसे बहुत से किसान हैं, जो चंदन की खेती से लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपये कमा रहे हैं.
गुजरात के कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं. अलकेशभाई पटेल ने भरूच जिले के हांसोट तालुका के कांटासायण गांव में चंदन की खेती की शुरुआत 2010-2011 में की थी. चंदन की खेती करने के लिए बहुत धैर्य और परिश्रम की जरूरत होती है. क्योंकि चंदन का पेड़ 20-25 वर्षों में जाकर तैयार होता है. लेकिन जब यह तैयार होता है, इससे खुशबू के साथ-साथ नोट भी बिखरते हैं.
गुजरात सरकार कर रही है मदद
आज से 9 साल पहले अलकेशभाई के लगाए सफेद चंदन के पौधे आज बड़े पेड़ बनकर लहलाह रहे हैं. लगभग दो एकड़ जमीन में अलेकभाई ने एक हजार से अधिक पौधे रोपकर चंदन की फसल तैयार की थी, जो अब अगले पांच साल बाद अलकेशभाई को 30 करोड़ रुपये कमा कर देगी. वर्ष 2003 में, गुजरात राज्य में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा एक निर्णय लिया गया था, जिसमें डांग जिले को छोड़कर चंदन की खेती राज्य के अन्य जिलों के किसान कर सकते हैं. गुजरात सरकार के इस फैसले को विधानसभा में कानून बना कर पारित कर दिया. हर किसान चंदन की खेती अपनी जमीन के सर्वे नंबर में कर सकता है.
खेत में लगाए 1 हजार चंदन के पेड़
जब अलकेश पटेल ने खेती शुरू की तो कई समस्याएं आई थीं. मिट्टी में क्षार ज्यादा होने के कारण उन्होंने स्थानीय विधायक और मंत्री ईश्वरसिंह पटेल से इस बारे में बात की. उन्होंने नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से चंदन की खेती के बारे में हर वैज्ञानिक जानकारी जुटाई. जानकारी हासिल करने के बाद अलकेशभाई अपने खेत में 1 हजार चंदन के पेड़ लगाए और उनकी देखभाल करनी शुरू की.
पौधे को पथरीली और सुखी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. चंदन के पेड़ को कम पानी की जरूरत होती है. अलकेशभाई ने ड्रिप इरीगेशन प्रणाली के माध्यम से खेत को तैयार करना शुरू कर दिया. आज नौ साल बाद, अलकेशभाई पटेल के खेत में चंदन के 15 से 20 फुट ऊंचे पेड़ खड़े हो गए हैं. एक चंदन का पेड़ 5-6 साल बाद तीन लाख रुपये में बिकेगा. इस तरह एक हजार पेड़ करीब 30 करोड़ रुपये के बिकेंगे.
चंदन के साथ अन्य फसलें भी
अलकेशभाई ने चंदन के पेड़ के साथ अपने खेत में समय-समय पर अन्य फसल भी लगाते हैं, जिससे चंदन के पेड़ों को तो पोषण मिलता ही रहता है, साथ में खेत से कुछ न कुछ कमाई निरंतर होती रहती है. क्योंकि पहले पांच वर्षों में किसान अपने खेत में चंदन की फसलों के साथ-साथ अन्य फसलों को भी ले सकता है.
दक्षिण गुजरात के कई किसानों ने अलकेशभाई की देखरेख में चंदन की खेती शुरू की. वर्तमान में, गुजरात में लगभग पांच हजार किसान चंदन की खेती कर रहे हैं. चंदन की खेती कर रहे किसानों ने अपना संघ बनाया है और कर्नाटक सरकार के साथ MOU करने की तैयारी भी कर ली है. इस समझौते के तहत गुजरात के किसान सीधे कर्नाटक सरकार को अपना चंदन बेच कर करोड़ों रुपये कमा सकते हैं.
कम जमीन में ज्यादा कमाई
कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि अगर किसान के पास जमीन कम है और वह अपनी फसल से अधिक धन प्राप्त करना चाहता है तो चंदन की खेती करनी चाहिए. इसकी खेती करना भी बहुत अच्छा है क्योंकि, अगर किसान युवावस्था में ही खेती करना शुरू कर देता है तो किसी एफडी की तरह ये चंदन के पेड़ उसके काम आएंगे.
फिलहाल अलकेशभाई 2-3 साल बाद चंदन के पेड़ों की सुरक्षा करने की तैयारी कर रहे हैं. 15वें वर्ष के पहले के दो या तीन वर्षों के दौरान, जब चंदन के पेड़ बड़े हो जाते हैं और फसल काटने का समय होता है. इस दौरान पेड़ों की लूट का डर भी होता है. इसमें भी फसल बीमा के माध्यम से राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा किसानों को उनके खेतो में लगाई फसल की सुरक्षा प्रदान की जाती है.