Demat Account Change Rules: स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, अब वे मोबाइल फोन ऑपरेटर्स की तरह अपने ब्रोकर्स को बदल सकेंगे. जी हां, इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम (Interoperability Scheme) के तहत, निवेशक जल्द ही अपने ब्रोकरों को बदल सकेंगे अगर वे  उनकी सेवा से संतुष्ट नहीं हैं. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (Sebi) और स्टॉक एक्सचेंज इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस योजना को कैसे क्रियान्वित किया जा सकता है.

दिसंबर तक जारी हो सकता है नियम

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उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक सेबी इस संबंध में नियम जारी कर सकता है. निवेशक जब चाहें ब्रोकर्स बदल सकते हैं. ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI विचार कर रहा है. SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी है.

अभी क्या है नियम?

वर्तमान में, अगर निवेशक ब्रोकर्स को बदलना चाहते हैं, तो उन्हें अपने मौजूदा ब्रोकर से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना होगा और अपने फंड को नए ब्रोकर को ट्रांसफर करने से पहले अपनी स्थिति शून्य बनानी होगी. कहा जा रहा है कि मार्केट रेगुलेटर नियमों में इस तरह की कवायद को खत्म कर देगा. नियम लागू होने के बाद अब निवेशक मार्जिन के साथ फंड ट्रांसफर कर सकता है.

 

विचाराधीन इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मार्केट एक्सपर्ट और सेठी फिनमार्ट प्राइवेट के एमडी विकास सेठी ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है और उन निवेशकों के लिए अच्छी खबर है जो एक ब्रोकर के कारण परेशान हैं और किसी अन्य समान फर्म को फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि अब ब्रोकरों को अपनी सेवाओं में सुधार पर और काम करना होगा. यह उन्हें निवेशकों के प्रति अधिक जवाबदेह भी बनाएगा. यह सही दिशा में एक कदम है, जो अच्छी सेवाएं दे रहे हैं उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो पिछड़ रहे हैं उन्हें सुधार करना होगा.