सोना ₹70,000 के ऊपर, 10 दिनों में ₹2500 बढ़े दाम, लेकिन आज ये क्या हुआ...?
Gold-Silver Price: सोने ने पिछले हफ्ते बड़ी छलांग लगाई थी और ग्लोबल मार्केट में भाव रिकॉर्ड हाई के करीब पहुंच गया था. घरेलू बाजार में भी ये फिर से 70,000 के पार निकल गया है. हालांकि, आज इक्विटी मार्केट में गिरावट के बीच कमोडिटी बाजार में भी गिरावट दर्ज हो रही थी.
Gold-Silver Price: डॉलर इंडेक्स में कमजोरी के चलते सोने के दामों में इन दिनों तेज उछाल देखी गई है. सोने ने पिछले हफ्ते बड़ी छलांग लगाई थी और ग्लोबल मार्केट में भाव रिकॉर्ड हाई के करीब पहुंच गया था. घरेलू बाजार में भी ये फिर से 70,000 के पार निकल गया है. हालांकि, आज इक्विटी मार्केट में गिरावट के बीच कमोडिटी बाजार में भी गिरावट दर्ज हो रही थी. सिल्वर आज MCX (मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज) पर खुला तो हरे निशान में था, लेकिन इसके बाद इसमें तेज गिरावट आ गई. वहीं अगस्त कॉन्ट्रैक्ट का सोना भी लाल निशान में कारोबार कर रहा था.
MCX पर सुबह 11:30 बजे के आसपास सोना 173 रुपये के नुकसान के साथ 70,082 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेडिंग कर रहा था, शुक्रवार को ये 70,255 पर बंद हुआ था. इस दौरान चांदी 293 रुपये गिरकर 82,200 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास चल रही थी. आज चांदी खुली थी, 83,050 के आसपास, लेकिन यहां भी गिरावट आई. पिछले कारोबारी सत्र में मेटल 82,493 रुपये पर बंद हुआ था.
दिल्ली में कितना महंगा हुआ सोना?
घरेलू मांग बढ़ने और मजबूत वैश्विक रुख के कारण स्थानीय सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोने का भाव लगातार चौथे दिन बढ़त के साथ 350 रुपये चढ़कर 72,850 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था. पिछले कारोबारी सत्र में सोना 72,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने कहा कि इसके उलट चांदी 200 रुपये की गिरावट के साथ 86,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. इसका पिछला बंद भाव 86,200 रुपये प्रति किलोग्राम था.
इस बीच, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 350 रुपये बढ़कर 72,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया. इसका पिछला बंद भाव 72,150 रुपये प्रति 10 ग्राम था. घरेलू स्तर पर कारोबारियों ने सोने की कीमतों में वृद्धि का श्रेय खुदरा खरीदारों के साथ हाल ही में सीमा शुल्क में कटौती के कारण आभूषण विक्रेताओं की बढ़ती मांग को दिया. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, सोने में निरंतर खरीद के पीछे बृहस्पतिवार को जारी कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव की भूमिका दिख रही है. कमोडिटी बाजारों में निवेशक सकारात्मक धारणा दिखा रहे हैं क्योंकि वे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा रेपो दर में कटौती की उम्मीद के बीच अपने लिए सुरक्षित निवेश तलाश रहे हैं.