Gold-Silver Price: सुरक्षित माने जाने वाले निवेश विशेष तौर पर सोने और चांदी में इस साल की शुरूआत से शानदार तेजी देखी गई है. इस साल में अब तक सोने और चांदी के भाव में 10 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में ये बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह साल सुरक्षित निवेश का साल है. वैश्विक मंदी, भू-राजनीतिक अनिश्चितता के साथ-साथ ब्याज दरों में धीमी बढ़ोतरी की वजह से सोने की कीमतें बढ़ी हैं. मांग और आपूर्ति के कारकों ने ऐतिहासिक रूप से सोने की कीमतों पर सीधे तौर पर बड़ा प्रभाव नहीं डाला है, खास कर ऐसे हालात में जहां बाजार में अनिश्चितताएं मौजूद हैं. पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई है, इसलिए इसमें अब थोड़ी नरमी आने की संभावना है.

2021 में 1050 टन सोना आयात

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सोने की मांग बाजार को कभी निराश नहीं करती है, हालांकि बाजार में कुछ मंदी के कारण इस बार घरेलू मोर्चे पर चीजें थोड़ी अलग हैं. खास कर पिछले साल सोने के लिए सीमा शुल्क 15 प्रतिशत (उपकर सहित) और इस बार चांदी के लिए हालिया बदलाव के बीच. भारत ने 2021 में 1,050 टन सोने का आयात किया, 2022 में उसने 705 टन सोने का आयात किया था. 

चांदी के भाव में भी तेजी

दूसरी ओर चांदी के आयात ने 2022 में सब को चौंका दिया, जो कि 9,500 टन था. उच्च कीमतों के बीच सोने की खरीददारी में बाजार में कुछ मजबूती है. घरेलू मोर्चे पर, गोल्ड ईटीएफ में प्रमुख फंड हाउसों के कुल एयूएम के साथ 17,000 करोड़ रुपये से ऊपर जाने के साथ अच्छा ट्रैक्शन देखा गया है. 

RBI लगातार खरीद रहा सोना

मांग में वृद्धि का एक कारण आरबीआई की सोने की खरीददारी है जो लगातार बढ़ रही है. पिछले 10 सालों से सेंट्रल बैंक बड़ा खरीददार रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूजीसी के अनुसार, केंद्रीय बैंक की खरीद का मौजूदा पैमाना बहुत बड़ा है. जो कि पिछले एक दशक में औसतन 512 टन रहा है.

भू-अनिश्चितताओं की वजह से निवेश बढ़ा

सोने के बाजार को जो समर्थन मिल रहा है उसकी बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान भू-राजनीतिक तनाव है. रूस-यूक्रेन युद्ध की चिंता लोगों को सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ा रही है. ऊपर से, फिनलैंड को नाटो में प्रवेश दिया गया, जिसके बाद नाटो रूस की सीमा तक आ गया, जिसने दुनिया में और अनिश्चितता बढ़ा दी. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि एक और अनिश्चितता जो शायद अल्पकालिक हो, वह अमेरिकी बैंकिंग चिंताएं हैं, जिसमें एसवीबी और क्रेडिट सुइस के पतने से घबराहट पैदा हुई और सोने और चांदी में निवेश बढ़ गया. 

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