सात समंदर पार से दबा है बाजार में बिकवाली का ट्रिगर, 2022 से चल रहा ये सिलसिला
8 कारोबारी दिनों में से छह में भारी बिकवाली का सिलसिला देखने को मिला. अब पिछले दो दिनों से बाजार में थोड़ी हरियाली देखने को मिली है. अब तक एफपीआई ने 22,000 करोड़ रुपए से अधिक की रकम बाजार से बाहर निकाल ली है.
जनवरी 2025 का महीना भारतीय शेयर बाजार के लिए चिंताजनक साबित हो रहा है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार से बड़े पैमाने पर पैसा निकालना शुरू कर दिया है. 8 कारोबारी दिनों में से छह में भारी बिकवाली का सिलसिला देखने को मिला. अब पिछले दो दिनों से बाजार में थोड़ी हरियाली देखने को मिली है. अब तक एफपीआई ने 22,000 करोड़ रुपए से अधिक की रकम बाजार से बाहर निकाल ली है.
2022 से चल रहा सिलसिला
एफपीआई की बिकवाली का यह ट्रेंड 2022 से जारी है. ट्रेंडलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2022 में विदेशी निवेशकों ने 35,975 करोड़ रुपए शेयर बाजार से निकाले थे. इसके बाद 2023 में 29,949.8 करोड़ रुपए और 2024 में 26,111 करोड़ रुपए की निकासी की गई. 2025 में भी यह ट्रेंड जारी है. अभी तक विदेशी निवेशक कैश बाजार से 22,540 करोड़ रुपए निकाल चुके हैं. बीएसई सेंसेक्स के डेटा को देखें तो पिछले 100 दिनों में बाजार से निवेशकों के 60 लाख करोड़ डूब चुके हैं.
क्यों बाजार में चल रही है बिकवाली?
एफपीआई की बिकवाली का मुख्य कारण भारतीय मुद्रा का डॉलर के मुकाबले कमजोर होना है. 14 जनवरी 2025 को रुपया 86.31 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. इसके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट देखी गई. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.693 अरब डॉलर घटकर 634.585 अरब डॉलर रह गया.
इतना ही नहीं डॉलर इंडेक्स में मजबूती, जो 109 से ऊपर बना हुआ है, एफपीआई की बिकवाली की एक और बड़ी वजह है. इसके अलावा अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन भी निवेशकों को बाहर निकलने पर मजबूर कर रहे हैं. बढ़ती महंगाई, जीडीपी की धीमी रफ्तार और ब्याज दरों में कटौती जैसी घरेलू समस्याएं भी एफपीआई की बिकवाली को प्रोत्साहित कर रही हैं.
डगमगा रहा निवेशकों का भरोसा
एफपीआई की इस बिकवाली ने शेयर बाजार की स्थिरता को प्रभावित किया है. निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है और बाजार में गिरावट जारी है. मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक घरेलू आर्थिक कारक मजबूत नहीं होते और वैश्विक कारक अनुकूल नहीं होते, तब तक एफपीआई का यह रुख जारी रह सकता है.