हाल ही में हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर गंभीर आरोप लगे थे. वैसे तो उन्होंने तमाम आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन अब इसे लेकर कांग्रेस लगातार माधबी पुरी को आड़े हाथों ले रही है. साथ ही कांग्रेस पीएम मोदी के खिलाफ भी आवाज उठा रही है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि वह माधबी पुरी बुच और तमाम कंपनियों के उनके रिश्तों का लगातार खुलासा कर रहे हैं. पवन खेड़ा ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक ने इस मामले में बताया है कि माधबी पुरी के खाते में कब और कितने पैसे आए हैं, लेकिन ना तो सेबी और ना ही पीएमओ ने इस पर कोई जवाब दिया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पवन खेड़ा ने कहा कि आज हम एक और खुलासा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में एगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र हुआ था. माधबी पुरी ने बाद में कहा कि जब वह सेबी गईं, तो उसके बाद से ही उनकी ये कंपनी डॉर्मेंट हो गई. पवन खेड़ा ने एक कागज दिखाते हुए दावा किया कि 31 मार्च 2024 तक भी इस कंपनी में उनका 99 फीसदी स्टेक है. पवन खेड़ा ने सरकार पर उंगली उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी से खड़गे तक के फोन की बातें सरकार को पता हैं, लेकिन माधबी पुरी के झूठ के बारे में नहीं पता. उन्होंने कहा कि माधबी पुरी ने कई बातों को जानबूझकर छुपाया है.

6 कंपनियों से पैसे कमाने का आरोप

पवन खेड़ा ने आगे कहा कि इन सबसे एक सवाल उठता है कि आखिर किन कंपनियों ने एगोरा से सेवाएं लीं? एक सवाल ये भी है कि क्या ये कंपनियां सेबी के स्कैनर में हैं? उन्होंने कहा 2016-17, 19-20 और 23-24 तक माधबी पुरी ने एगोरा के माध्यम से 2.95 करोड़ रुपये कमाए. ये पैसे महिंद्रा एंड महिंद्रा, डॉक्टर रेड्डीज, पिडीलाइट, आईसीआईसीआई, सैम्बकॉर्प और विसूलीजी एंड फाइनेंस इन 6 कंपनियों से कमाए गए. खेड़ा बोले कि ये सारी कंपनियां लिस्टेड हैं और ये सेबी से रेगुलेट होती हैं और साथ ही ये सभी एगोरा की क्लाइंट हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवन खेड़ा ने सेबी के कोड ऑफ कनडक्ट के सेक्शन 5 का जिक्र करते हुए कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट के बारे में कहा. वह बोले इसके तहत अगर आप किसी ऐसी कंपनी से पैसे कमाते हैं, जो सेबी के रडार पर हो तो ये कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट है. उन्होंने कहा कि एगोरा ने सबसे ज्यादा करीब 88 फीसदी महिंद्रा एंड महिंद्रा से कमाया. वह बोले कि धवल बुच को 2019-21 के बीच 4.78 करोड़ रुपये महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप से मिले. सवाल ये है कि क्यों मिले? इस दौरान माधबी पुरी सेबी की होलटाइम मेंबर थीं. उन्होंने कहा कि ये सेबी के कोड ऑफ कंडक्ट के सेक्शन 11  का वायलेशन है.

उन्होंने कि सेबी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के पक्ष में कई ऑर्डर निकाले, जिनकी तारीखें सवाल खड़ा करती हैं. ये तारीखें हैं 31 मई 2019, 21 जुलाई 2020, 26 मार्च 2018, 21 अप्रैल 2020 और 27 अगस्त 2021. 2019-20 में धवल बुच को महिंद्रा एंड महिंद्रा से 1.73 करोड़ और 20-21 में 3.04 करोड़ रुपये मिलेगा, यानी कुल 4.78 करोड़ रुपये मिले. खेड़ा बोले कि अभी उनके पास बहुत सारा मसाला है और इसी हफ्ते वह फिर से आएंगे और खुलासे करेंगे. इस पर उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम बताएं, क्या आपकी जानकारी में है कि एगोरा के 99 फीसदी शेयर माधबी पुरी बुच के पास हैं? क्या आपको कोई रिपोर्ट नहीं मिली या आप जानते थे? एगोरा के रिश्तों के बारे में क्या आपको नहीं पता था?

महिंद्रा ग्रुप ने दी सफाई

महिंद्रा ग्रुप ने कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि कंपनी ने धवल बुच को 2019 में हायर किया था. उन्हें खासकर उनकी सप्लाई चेन और सोर्सिंग से जुड़े अनुभव के लिए हायर किया गया था. उन्होंने अपना अधिकतर वक्त Bristlecone, जो एक सब्सिडियरी है और सप्लाई चेन कंसल्टिंग कंपनी है. अभी धवल बुच Bristlecone के बोर्ड में है. वह महिंद्रा ग्रुप में माधबी पुरी बुच के सेबी प्रमुख बनने से करीब 3 साल पहले आए थे. उन्हें दिए गए पैसे उनके अनुभव और मैनेजमेंट के लिए थे. 

महिंद्रा ग्रुप ने आगे कहा कि सेबी के जिन 5 ऑर्डर की बात कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए की है, उनका इससे कोई लेना देना नहीं है. उनमें से 3 का कंपनी या इसकी सब्सिडियरी से कुछ लेना देना नहीं है. एक तो फास्ट ट्रैक राइट्स इश्यू था, जिसके लिए सेबी अप्रूवल की कोई जरूरत नहीं. एक ऑर्डर तो मार्च 2018 का है, जब धवल ने महिंद्रा ग्रुप में काम भी शुरू नहीं किया था. कंपनी ने कांग्रेस के आरोपों को झूठा और गलत करार दिया है.