Buyback Taxation: बायबैक टैक्सेशन को लेकर एक बड़ी एक्सक्लूसिव खबर आ रही है. सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि सरकार बायबैक टैक्सेशन में बड़ा बदलाव कर सकती है. केंद्रीय बजट 2023 में ऐसा ऐलान किया जा सकता है कि बायबैक टैक्स कंपनियों से हटाकर निवेशकों पर लगाया जाए. प्री बजट मीटिंग में बायबैक की टैक्स पॉलिसी को बदलाव करने की चर्चा हो रही है. अभी जो टैक्स है, वो कंपनी भरती है. लेकिन बदलाव होने के बाद बायबैक में हिस्सा लेने वाले निवेशकों को देना होगा.

बायबैक क्या होता है?

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दरअसल, कंपनियां कभी-कभी अपने शेयरहोल्डर्स को रिवॉर्ड देने के लिए उन्हें या तो डिविडेंड देती हैं या बायबैक ऑफर लाती हैं, जिसके तहत वो उनसे अपने शेयर खरीदती हैं. बायबैक टैक्स कंपनियों की ओर से शेयर रिपरचेजिंग पर चुकाए गए पैसों पर लगता है. इसमें से ओरिजिनल इशू के वक्त चुकाए गए नेट अमाउंट को डिडक्ट करके टैक्स कैलकुलेट किया जाता है.

क्यों बदलाव की हो रही है बात?

मार्केट दिग्गजों और और सेबी ने प्री-बजट मीटिंग में यह बदलाव लाने की सिफारिश की है. वो रेवेन्यू डिपार्टमेंट को यह लॉजिक दे रहे हैं कि जो लोग बायबैक में हिस्सा नहीं लेते हैं, तो उनके ऊपर भी टैक्स का भार पड़ता है, क्योंकि जब कोई कंपनी बायबैक ऑफर करती है तो कंपनी ही टैक्स भरती है, इससे भार सबपर पड़ता है. तो मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि जो लोग इस ऑफर में हिस्सा लेते हैं, उन्हें ही टैक्स भरने को कहा जाए.

लेकिन रेवेन्यू डिपार्टमेंट को इस बात की चिंता है कि कंपनी में कई सारे फॉरेन इन्वेस्टर्स होते हैं और ट्रीटी में कई बार कम टैक्स भरना पड़ता है, जबकि बायबैक में ज्यादा भरना पड़ता है, इस कमी को सरकार दूर करना चाहती है. इसके लिए FIIs, ट्रीटी और टैक्स को ध्यान में रखते हुए बायबैक कंडीशन में बदलाव की तैयारी हो रही है.

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