FM on Adani: "FPOs आते-जाते रहते हैं...रेगुलेटर्स अपना काम करने को स्वतंत्र हैं"- अदानी ग्रुप पर बोलीं निर्मला सीतारमण
Adani FPO, Adani-Hindenburg Saga: अदानी ग्रुप पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस पूरे मामले पर नियामक संस्थाएं नजर बनाए हुए हैं और बाजार को नियमित बनाए रखने के लिए वो पूरी तरह काम करने को स्वतंत्र हैं.
Adani FPO, Adani-Hindenburg Saga: अदानी ग्रुप को लेकर मचे बवाल और कॉरपोरेट गवर्नेंस पर आज शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस पूरे मामले पर नियामक संस्थाएं नजर बनाए हुए हैं और बाजार को नियमित बनाए रखने के लिए वो पूरी तरह काम करने को स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि नियामक संस्थाएं अपना काम करेंगी. बाजार को सबसे अच्छी कंडीशन में बनाएं रखने के लिए सेबी अथॉरिटी है और इस स्थिति को बनाए रखने के लिए उसके पास जरिए हैं. Adani Enterprises FPO (Follow-on Offer Price) को वापस लिए जाने के फैसले पर उन्होंने कहा कि इससे भारत की छवि पर कोई असर नहीं पड़ा है.
RBI और LIC के बयानों का किया जिक्र
सीतारमण ने कहा कि "नियामक अपना काम करेंगे. RBI ने इस पूरे मामले पर बयान दिया है, उसके पहले बैंक भी बोल चुके हैं. LIC ने भी बताया है कि अदानी ग्रुप में उनका कितना एक्सपोजर है. रेगुलेटर सरकार से स्वतंत्र हैं, मार्केट को रेगुलेटेड बनाए रखने के लिए उन्हें जो करना चाहिए, वो करने के लिए स्वतंत्र हैं."
Adani FPO को वापस लेने पर क्या बोलीं FM?
बीते हफ्ते अदानी एंटरप्राइजेज के FPO को अदानी ग्रुप ने वापस ले लिया था. FPO को वापस लिए जाने और बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए क्या विदेशी बाजारों में भारत की स्थिति प्रभावित हुई है? इसपर वित्तमंत्री ने कहा कि "देश में ऐसा पहले कितनी बार नहीं हुआ है कि FPO वापस नहीं लिया गया है? और कितनी बार ऐसा हुआ है कि इससे भारत की छवि पर असर पड़ा है? और ऐसा कितनी बार नहीं हुआ है कि वापस लिए गए FPOs फिर से बाजार में नहीं आए हैं? FPOs आते-जाते रहते हैं. हार बाजार में अस्थिरता होती है. और हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 2 दिनों में 8 बिलियन डॉलर आए हैं, इससे साबित होता है कि भारत और उसकी मजबूती की छवि बनी हुई है."
"अदानी मामला ‘चाय के प्याले में उठा तूफान’ भर"
इस पूरे मामले वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने शुक्रवार को बयान दिया था कि अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट से शेयर बाजार में मची आपाधापी लॉन्ग टर्म इकोनॉमिक नजरिए से ‘चाय के प्याले में उठा तूफान’ भर है. आज उन्होंने अपनी बात फिर दोहराई और कहा कि वो अपनी इसी बात पर कायम हैं. ‘चाय के प्याले में उठा तूफान’ एक मुहावरा है, जिसका मतलब है कि ऐेसे मामले को लेकर गुस्सा और चिंता दिखाना, जो महत्वपूर्ण नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली काफी मजबूत है और शेयर बाजार की उठापटक सरकार की चिंता का विषय नहीं है और इस बारे में जरूरी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र नियामक मौजूद हैं.
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें