जानिए क्या है Zomato का Business Model, एक-दो नहीं बल्कि इन 10 तरीकों से कंपनी करती है मोटी कमाई
दीपिंदर गोयल के जोमैटो ने अब मुनाफा दर्ज करना शुरू कर दिया है. ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि आखिर कंपनी का बिजनेस मॉडल (Zomato Business Model) क्या है और कंपनी कैसे पैसे कमाती है.
ऑनलाइन फूड डिलीवरी (Food Delivery) में सबसे बड़ी क्रांति 2012 में आई थी. उसी दौरान 3 दोस्तों ने मिलकर एक कंपनी फूडपांडा की शुरुआत की थी. कंपनी का बिजनेस बढ़ते-बढ़ते 45 देशों तक फैल गया और हर रोज लगभग 2 लाख ऑर्डर आने लगे. देखते ही देखते कंपनी की वैल्यू 3 अरब डॉलर की हो गई. उसके बाद कंपनी की हालत खराब होने लगी और इस कंपनी को ओला ने 2017 में सिर्फ 250 करोड़ रुपये में खरीद लिया. ओला ने भी इसमें करीब 500 करोड़ लगाए, लेकिन 2019 में कंपनी बंद करनी पड़ी. इस वक्त बाजार में जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनियां हैं. इस सेक्टर में आज तक तमाम कंपनियां आईं, लेकिन तगड़ा मुनाफा नहीं कमा पाएं. दीपिंदर गोयल के जोमैटो ने अब मुनाफा दर्ज करना शुरू कर दिया है. ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि आखिर कंपनी का बिजनेस मॉडल (Zomato Business Model) क्या है और कंपनी कैसे पैसे कमाती है.
क्या है जोमैटो का बिजनेस मॉडल?
कंपनी एक-दो नहीं बल्कि कई तरीकों से पैसे कमाती है. पिछले कई सालों से कंपनी मुनाफा नहीं कमा पा रही थी, लेकिन अब कंपनी फायदे में आ गई है. आइए जानते हैं किन-किन तरीकों से कंपनी की होती है कमाई.
1- रेस्टोरेंट लिस्ट कराना
जोमैटो की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा कंपनी के ऐप पर रेस्टोरेंट लिस्ट कराने से आता है. एक रेस्टोरेंट की लिस्टिंग के लिए कंपनी करीब 1000 रुपये चार्ज करती है. यह वन टाइम फीस है, जो रेस्टोरेंट को चुकानी होती है, भले ही उसे ऑर्डर आएं या ना आएं.
2- विज्ञापन से होती है तगड़ी कमाई
ऐप पर ही कंपनी कई रेस्टोरेंट के विज्ञापन दिखाती है और बदले में उनसे पैसे चार्ज करती है. जिस रेस्टोरेंट को जोमैटो जितनी ज्यादा विजिबिलिटी देता है, उससे उतनी ही ज्यादा फीस वसूलता है और कमाई करता है. विज्ञापन के जोमैटो के अलग-अलग पैकेज हैं, जो अलग-अलग फायदे ऑफर करते हैं.
3- डिलीवरी फीस भी कमाई का तरीका
जब आप जोमैटो से कुछ भी ऑर्डर करते हैं तो उस पर तीन तरह का चार्ज चुकाते हैं. पहला प्रोडक्ट यानी खाने की कीमत. दूसरा रेस्टोरेंट हैंडलिंग चार्ज. वहीं तीसरे नंबर पर आता है डिलीवरी चार्ज, जो जोमैटो आपसे चार्ज करता है किसी भी प्रोडक्ट को डिलीवर कराने के लिए.
4- रेस्टोरेंट से कमीशन
कई बार आपने देखा होगा कि किसी रेस्टोरेंट का खाना जोमैटो पर महंगा दिखता है. ऐसा इसलिए क्योंकि तमाम रेस्टोरेंट को जोमैटो के ऐप का इस्तेमाल करते हुए अपना प्रोडक्ट बेचने पर एक कमीशन चुकाना होता है. ऐसे में जोमैटो से खाना मंगवाने पर यह चार्ज भी रेस्टोरेंट ग्राहकों से ही वसूलते हैं. यह चार्ज भी 2-3 पैकेज में दिया जाता है, जो आपकी ऑर्डर वैल्यू का 23% से लेकर 27% तक होता है.
5- लॉयल्टी प्रोग्राम से भी कमाता है जोमैटो
जोमैटो ने अपने लॉयल्टी प्रोग्राम से अधिक से अधिक ग्राहकों को खुद से जोड़ने की कोशिश की है. तमाम कंपनियों की तरह जोमैटो भी एक लॉयल्टी प्रोग्राम चलाता है, जिससे वह अधिक से अधिक ग्राहकों को खुद से जोड़ता है. इसके तहत कंपनी जोमैटो गोल्ड का सब्सक्रिप्शन देती है, जिसकी कीमत अलग-अलग अवधि के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है. यह भी कंपनी की कमाई का एक जरिया है. हालांकि, कंपनियां इसे कमाई से ज्यादा ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के टूल की तरह देखती हैं और इसके चलते बाकी तरीकों से होने वाली कमाई खुद ही बढ़ जाती है.
6- इवेंट्स टिकट सेल भी कमाई का जरिया
जोमैटो की तरफ से कुछ खास इवेंट की टिकट बेची जाती हैं. इन इवेंट के जरिए ग्राहकों को एक खास रेस्टोरेंट तक पहुंचाया जाता है. इससे उस रेस्टोरेंट की कमाई होती है और उसका एक हिस्सा जोमैटो को मिलता है. यह फीचर जोमैटो पर Zomato Live नाम से मिल सकता है.
7- प्लेटफॉर्म फीस
अगर आप जोमैटो से कुछ ऑर्डर करते हैं तो वहां पर आपको एक प्लेटफॉर्म फीस भी दिखाई देती होगी. अभी यह फीस 5 रुपये है. जोमैटो ने पिछले साल अगस्त में 2 रुपये का प्लेटफ़ॉर्म शुल्क लगाना शुरू किया था. इसके बाद इसे बढ़ाकर 3 रुपये कर दिया था। नए साल की पूर्व संध्या परइसे बढ़ाकर 4 रुपये कर दिया। इस तरह देखा जाए तो करीब 6-7 महीनों में प्लेटफॉर्म शुल्क में ढाई गुना तक की बढ़ोतरी हो गई है. कंपनी हर साल करीब 1 अरब यानी 100 करोड़ सालाना ऑर्डर के आंकड़े पर पहुंच चुकी है. इस तरह देखें तो सालाना 100 करोड़ ऑर्डर से कंपनी करीब 500 करोड़ रुपये कमा सकती है.
8- क्विक कॉमर्स- ब्लिंकइट
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकट भी जोमैटो का ही हिस्सा है. इससे सामान मंगवाने में आप जो डिलीवरी फीस,प्लेटफॉर्म फीस या कोई और चार्ज देते हैं, वह भी जोमैटो के ही खाते में जुड़ता है. वहीं ब्लिंकइट पर तमाम वेंडर्स की लिस्टिंग का जो चार्ज लिया जाता है, वह भी जोमैटे को ही मिलता है. Goldman Sachs के अनुसार 2 सालों में ब्लिंकइट की वैल्यू जोमैटो के मूल बिजनेस यानी ऑनलाइन फूड डिलीवरी से भी अधिक हो गई है. ब्लिंकइट का वैल्युएशन करीब 13 अरब डॉलर का हो चुका है, जो मार्च 2023 में महज 2 बिलियन डॉलर का था. बता दें कि जोमैटो का कुल वैल्युएशन करीब 20 अरब डॉलर है, जिसमें से 13 अरब डॉलर तो सिर्फ ब्लिंकइट का वैल्युएशन है.
9- हाइपरप्योर से कमाई
जोमैटो का एक और बिजनेस मॉडल है, जिसका नाम है हाइपरप्योर. यह बिजनेस खासतौर पर अपने वेंडर्स को थोक में सामान सप्लाई करता है. यानी आप अगर जोमैटो के वेंडर हैं और आपको आटा, चावल, दाल, सब्जी, फल या कोई पैकेजिंग का सामान चाहिए, तो वह सब आपको हाइपरप्योर से बहुत ही अच्छे दाम पर मिल सकता है. इस तरह कंपनी हाइपरप्योर से भी जो कमाई करती है, वह जोमैटो के ही खाते में जुड़ता है.
10- जोमालैंड इवेंट का आयोजन
जोमैटो की तरफ से समय-समय पर जोमालैंड इवेंट का आयोजन किया जाता है. इस इवेंट में उस शहर के बहुत सारे लोग जमा होते हैं, जिस शहर में यह इवेंट होता है. यह एक तरह का फूड एंटरटेनमेंट कार्निवल होता है, जिससे कंपनी तगड़ी कमाई करती है. बता दें कि इसका आयोजन Zomato Live की तरफ से कराया जाता है.