World Hindi Day: हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है, जो भारत की राजभाषा है. पिछले कुछ सालों में हिंदी की लोकप्रियता काफी बढ़ी है. साल 2017 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (Oxford Dictionary) में हिन्दी के कई शब्द जोड़े गए, जिनमें आधार, चावल, शादी, हड़ताल, डब्बा , बच्चा, बड़ा दिन, अच्छा और सूर्य नमस्कार जैसे शब्द शामिल हैं. हिंदी को और ज्यादा मजबूत करने की दिशा में स्टार्टअप्स भी तेजी से काम कर रहे हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही 3 स्टार्टअप्स (Startup) के बारे में, जो हिंदी भाषा को दे रहे हैं मजबूती.

1- OpenHathi

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भारतीय एआई स्टार्टअप सर्वम ने कुछ समय पहले ही अपना हिंदी भाषा का मॉडल लॉन्च किया है, जिसका नाम है ओपन हाथी (OpenHathi-Hi-0.1). इसकी मदद से आप बहुत सारी भारतीय भाषाओं में एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह मेटा एआई के Llama 2-7B model पर बना हुआ है. कंपनी दावा करती है कि यह भारतीय भाषाओं के लिए GPT-3.5 जैसा है. Sarvam AI की शुरुआत विवेक राघवन और प्रत्यूष कुमार ने की है. राघवन को डिजिटल पब्लिक गुड्स बनाने के लिए जाना जाता है, जैसे आधार. वहीं कुमार को AI4Bharat में काम करने का अनुभव है. 

कंपनी के फाउंडर्स भारतीय कंपनियों के साथ काम कर के डोमेन स्पेसिफिक एआई मॉडल बनाना चाहते हैं. हाल ही में Sarvam AI ने सीरीज ए राउंड में 41 मिलियन डॉलर यानी करीब 340 करोड़ रुपये की फंडिंग (Funding) हासिल की है. इस फंडिंग का नेतृत्व Lightspeed ने किया है. साथ ही इस राउंड की फंडिंग में Peak XV Partners और Khosla Ventures ने भी हिस्सा लिया है.

2- Krutrim AI

करीब महीने पहले ही ओला (Ola) के को-फाउंडर और सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने कृत्रिम एआई (Krutrim AI) लॉन्च किया था. इसे 22 भारतीय भाषाओं में लॉन्च किया गया है. भाविश अग्रवाल ने इसे 15 दिसंबर को लॉन्च किया है, जो ना सिर्फ हिंदी को मजबूत बनाने का काम कर रहा है, बल्कि भारत की तमाम भाषाओं को मजबूत कर रहा है.

भाविश अग्रवाल ने भारत के एआई का नाम कृत्रिम यूं ही नहीं रखा है, बल्कि इसका भारत की संस्कृति से सीधा नाता है. एआई यानी आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं. संस्कृत में भी आर्टीफीशियल को कृत्रिम कहते हैं, ऐसे में भी यह नाम भारत की संस्कृति को दिखाता है. 

3- देवनागरी

हिंदी को मजबूत बनाने में स्टार्टअप देवनागरी भी काम कर रहा है, जो शार्क टैंक इंडिया में भी जा चुका है. स्टार्टअप का दावा है कि भारत में करीब 90 फीसदी आबादी अंग्रेजी नहीं समझती है. उनका मानना है कि इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में महज 0.1 फीसदी कॉन्टेंट ही मौजूद है, ऐसे में एक बड़ा गैप है, जिसे देवनागरी की मदद से कम करने की कोशिश है. कंपनी इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में मौजूदा कॉन्टेंट को 99 फीसदी तक पहुंचाना चाहती है. इस स्टार्टअप की शुरुआत 2011 में नकुल कुंद्रा और हिमांशु शर्मा ने की थी.